जमशेदपुर : झारखंड में मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की अगुवाई में नई सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार किया गया. लातेहार के वैद्यनाथ राम जो एक दलित समाज से आते हैं, उनका नाम मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल था. राजभवन को भेजे गए नए मंत्रियों की सूची में उनका भी नाम शामिल था. पर अंतिम समय में उनका नाम हटा दिया गया, उन्हें मंत्री पद की शपथ नहीं दिलायी गयी, इसक क्या कारण है।
यह झारखंड के 50 लाख दलितों का अपमान है। इस वर्ग का झारखंड मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व न होना, सूची भेजकर आखरी समय में शपथ से उनका नाम हटा कर एक दलित नेता को अपमानित करना सामाजिक न्याय और प्रतिनिधित्व पर बड़ा प्रहार है. भारत का लोकतंत्र सभी वर्गों का संख्या के अनुपात में समान भागीदारी और अधिकार की वकालत करता हैं। झारखंड की नई सरकार में दलित समाज को नज़र अंदाज़ करना झामुमो कांग्रेस की गढ़बन्धन सरकार को महंगा पड़ सकता है, साथ ही साथ आज़ाद समाज पार्टी एवं भीम आर्मी झारखंड प्रदेश आपसे यह मांग करती है कि अपने मंत्रिमण्डल में एक दलित, एक मुस्लिम और एक पिछड़ा समाज से उपमुख्यमंत्री बनाया जाए, ताकि आदिवासियों के साथ साथ दलितों, मुसलमानो और पिछड़ों को सत्ता में भागीदारी मिल सके।
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