RANCHI : पीड़िता वकील की बहन ने बताया कि थानेदार की नीयत ठीक नहीं है और वो काफी तंग कर रहा था, जिस कारण उनकी बहन ने ये फैसला लिया. पीड़िता मुंबई हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करती है और छुट्टी में अपने घर रांची आई हुई थी।
रांची. पुलिस को समाज और आम जन का रक्षक कहा जाता है लेकिन जब वही पुलिस रक्षक की बजाय भक्षक बन जाए तो न्याय के मंदिर में न्याय दिलाने में मदद करने वाले अधिवक्ता भी लाचार हो जाते हैं. रक्षक के भक्षक बनने की कोशिश का ऐसा ही मामला झारखंड की राजधानी रांची से जुड़ा है. शायद यही वजह है कि पीड़ित महिला अधिवक्ता ने आत्महत्या की कोशिश की क्योंकि महिला अधिवक्ता एक थानेदार की गंदी बात और नीयत से तंग आ चुकी थी।
इस कारण महिला अधिवक्ता ने आत्महत्या के इरादे से नींद की गोलियां खा ली हालांकि समय रहते महिला अधिवक्ता को अस्पताल में ले जाया गया है. महिला अधिवक्ता को अकेले में मिलने के लिए दबाव बनाने वाले ये थानेदार है रांची के सुखदेव नगर थाना प्रभारी रामाकांत ओझा जिन्हें हाल ही में थाने का प्रभार मिला है. महज पांच दिन पहले ही रामाकांत ओझा ने सुखदेव नगर थाने का प्रभार संभाला है. थानेदार ने अभी अपने पूरे थाना क्षेत्र को ठीक से समझा ही नहीं लेकिन महिला को अकेले मिलने का दबाव बनाना शुरू कर दिया।
दबाव भी ऐसा वैसा नही. महिला के पासपोर्ट और मोबाइल को जब्त करने के साथ ही महिला के एल्बम को भी थानेदार ने अपने पास रखा है. महिला पेशे से एक अधिवक्ता है. महिला के अनुसार अकेले न मिलने पर उसे झूठे केस में फंसाने और पासपोर्ट को ब्लैकलिस्ट कराने की भी धमकी थानेदार के द्वारा दी गई है, जिस कारण महिला ने आत्महत्या की कोशिश की. हालांकि नींद की गोलियां खाने से पहले महिला अधिवक्ता ने एक नोट भी लिखा है जिसमें लिखा है कि उस पर जबरन अकेले में मिलने का दबाव थानेदार के द्वारा दिया जा रहा है।
महिला वकील के नोट में लिखा है कि थानेदार की इस हरकत और करतूत से तंग आकर वो मौत को चुन रही है. वहीं नोट में ये भी लिखा है कि ये आत्महत्या नहीं बल्कि कत्ल है. महिला के नोट में लिखा है कि 11 फरवरी को सुखदेव नगर थाना क्षेत्र में एक गोलीबारी की वारदात को अंजाम दिया जाता है. गोलीबारी में एक अधिवक्ता रविकांत मिश्रा घायल होते हैं. रविकांत महिला के मित्र हैं. सुखदेव नगर थानेदार मामले की जांच के दौरान उसके घर पहुंचते है और पूछताछ के दौरान महिला अधिवक्ता का मोबाइल और पासपोर्ट जब्त कर जबरन महिला अधिवक्ता को थाने ले जाते है और फिर एक सादे पेपर पर जबरन निजी जीवन के विषय में अनाप शनाप लिखने तक को मजबूर करते है।
थानेदार महिला को अकेले में मिलने का दबाव बनाते हैं. महिला ने अपने नोट में ये भी लिखा है कि उस पर नजर रखी जा रही है और बगैर किसी साक्ष्य के उन्हें अपराधी घोषित करने की साजिश रची जा रही है, जिससे तंग आकर वो आत्महत्या करने को मजबूर है. अंत में महिला ने लिखा है कि नाकाम प्रशासन, बेटी बचाओ नहीं बेटी को बेइज्जत करो, की वो मर जाए. इस मामले में महिला की बहन बताती हैं कि थानेदार की नीयत ठीक नहीं है और वो काफी तंग कर रहा था, जिस कारण उनकी बहन जो कि मुंबई हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करती है, ने आत्महत्या का प्रयास किया. उन्होंने बताया कि फिलहाल उनकी बहन छुट्टी में रांची अपने मायके आई हुई थी।
सुखदेव नगर थाना प्रभारी रामाकांत ओझा पर लगे इन आरोपों के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई भी की गई है. आरोपी थानेदार इस मामले में लाइन हाजिर कर दिए गए हैं।
वहीं थानेदार ने कहा सभी आरोप ए निराधार हैं सिर्फ पूछताछ किया था..