नई दिल्ली : योग गुरु रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद की ओर से प्रचार में किए गए दावों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया था। अब इस पर जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने कहा है कि कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से आयुष या फिर एलोपैथी की चिकित्सा ले सकता है। दोनों सिस्टम में लगे लोगों की ओर से एक-दूसरे पर आरोप लगाना और नीचा दिखाना ठीक नहीं है। बाबा रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण को अदालत ने आज फिर से तलब किया है और दोनों ने मंगलवार को शाम को एक बार फिर से माफी मांग ली थी।
इससे पहले अदालत ने कहा था कि कंपनी के विज्ञापन नियम के खिलाफ हैं। इसके अलावा अदालत ने आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव पर सही एफिडेविट दाखिल न करने पर भी निशाना साधा था। यही नहीं बीते महीने पतंजलि की ओर से मांगी गई माफी को भी स्वीकार करने से अदालत ने खारिज कर दिया था। अदालत ने कहा था कि हम इसे नहीं मानते और यह जुबानी जमा-खर्च से ज्यादा खर्च कुछ नहीं है। इसके बाद अदालत का कहना था कि बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण नए एफिडेविट के साथ फिर से आएं। आज दोनों फिर से अदालत में पेश हुए हैं।
इस मामले मं शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से भी तीखे सवाल पूछ लिए थे और कहा था कि हम हैरान हैं कि आखिर वह कैसे आंखें बंद किए रही। इस पर केंद्र सरकार ने जवाब दिया था कि यदि जादुई उपचार की बात किसी विज्ञापन में की जाती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्यों के पास पर्याप्त अधिकार हैं। हालांकि हमने कानून के मुताबिक फैसला लिया। केंद्र सरकार ने कहा कि पतंजलि ने कोरोना से निपटने के लिए कोरोनिल दवा तैयार की थी। इसे लेकर जब विज्ञापन की बारी आई तो पतंजलि से कहा भी गया था कि वह तब तक ऐसे विज्ञापन न निकाले, जब तक मामले का परीक्षण आयुष मिनिस्ट्री कर रही है।
यही नहीं केंद्र सरकार ने पूरी प्रक्रिया की जानकारी देते हुए कहा कि लाइसेंसिंग अथॉरिटी को बताया गया था कि कोरोनिल दवा संक्रमण से निपटने में एक सहायक औषधि के तौर पर है। इसके अलावा सरकार ने कहा कि केंद्र सरकार ने कोरोना खत्म करने के गलत दावों को लेकर भी चेतावनी दी थी। इसके अलावा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा गया था कि वे ऐसे विज्ञापनों पर रोक लगाएं। केंद्र सरकार ने कहा कि हमारी नीति है कि देश में चिकित्सा की आयुष और एलोपैथी की पद्धति एक साथ चलें।