जमशेदपुर : प्रत्येक वर्ष मनाया जाने वाला पारंपरिक आदिवासी विशु शिकार इस वर्ष भी मनाया गया. इस वार्षिक अनुष्ठान से जुड़ी हुई भावनाओं को ध्यान में रखते हुए जंगली जानवरों के शिकार पर रोक लगाने हेतु वन विभाग द्वारा संगठित रूप से एक सुनियोजित पहल की गई. उप वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक, गज परियोजना, जमशेदपुर द्वारा दलमा राजा राकेश हेम्ब्रम से सभी स्थानीय लोगों से यह आग्रह करने का अनुरोध किया गया कि इस पारम्परिक पर्व में किसी जंगली जानवर का शिकार न करें तथा परम्परा का निर्वहन केवल प्रतिकात्मक रूप से किया जाय. 16 मई को मुख्य वन संरक्षक, झारखण्ड, राँची द्वारा सभी संबंधित पदाधिकारियों एवं सभी हितधारकों से बैठक कर तैयारी का जायजा लिया गया एवं इस संबंध में महत्वपूर्ण निर्देश दिये गये. जिसमें परिक्षेत्र के सभी पदाधिकारी उपस्थित हुए।
इस बैठक सत्र में मुख्य वन संरक्षक, वन्यप्राणी, झारखण्ड, राँची द्वारा सभी उपस्थित पदाधिकारियों को विशु शिकार के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया गया. बैठक में उप वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक के द्वारा विभिन्न गश्ती पथों के बारे में बताया गया तथा सभी उपस्थित वनकर्मियों को विशु शिकार के रोकथाम के लिए उचित मार्ग दर्शन दिया गया. साथ ही उपस्थित सभी मिडिया कर्मी/पत्रकारों को भी इस बावत जागरूकता का प्रचार-प्रसार करने हेतु आग्रह किया गया. तदोपरांत सभी दलों के द्वारा अपने-अपने निर्धारित गश्ती पथों पर देर रात तक गश्ति की गई. इसके अतिरिक्त आस-पास के ग्रामों में जागरूकता फैलाने के लिए संध्या के समय प्रोजेक्टर के माध्यम से लोगों को वन एवं वन्य प्राणी संरक्षण संबंधी विडियो दिखाया गया. वन एवं वन्यप्राणियों की सुरक्षा के संबंध में ग्रामीणों को जागरूक करते हुए वन्यप्राणियों की शिकार नहीं करने एवं पारिस्थिकीय संतुलन के महत्व के बारे में बताया गया तथा विशु शिकार के रोकथाम के निमित्त व्यापक जन-जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण क्षेत्रों को चिन्हित कर हाट दिवसों पर स्थानीय सांस्कृतिक अवयवों का संदर्भ लेते हुए नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया जिसमें ग्रामीण जन-जीवन तथा वन एवं वन्य जीव के बीच अन्योन्याश्रय संबंध, वन्यजीवों का उनके सामान्य जीवन एवं आजीविका पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव को रेखांकित करते हुए स्थानीय समुदायों को जागरूक कराया गया।
विशु शिकार के लिए निर्धारित तिथि के कुछ दिनों पहले से ही विभाग के द्वारा वनों की सुरक्षा एवं उनमें निवास करने वाले विभिन्न वन्यप्राणियों के संरक्षण हेतु वनकर्मियों की उपस्थिति में स्थानीय लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए अनेकों बैठक का आयोजन किया गया. बैठक कर विशु शिकार की रोकथाम हेतु रणनीति तय की गयी. आश्रयणी के संलग्न बंगाल की सीमा से शिकारियों के प्रवेश के निवारण हेतु वनरक्षियों को स्थानीय संभावित मार्गों में दृढ़तापूर्वक वन गश्ती करने के संबंध में निदेशित किया गया. जंगली जानवरों के शिकार को रोकने के लिए एवं इस पर्व की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रशासन के अन्य उच्च पदाधिकारियों के साथ भी विभाग द्वारा समन्वय स्थापित किया गया. विभाग द्वारा जनजागरुकता के कारण पूर्व के वर्षों की तुलना में इस वर्ष काफी कम संख्या में लोग सेंदरा पर्व में शामिल हुए. इस पर संतोष एवं हर्ष प्रकट किया गया. सेंदरा समिति दलमा के इस कार्य में सहयोग पर भी सभी को बधाई दी. आशा प्रकट की गई कि भविष्य में भी इसी प्रकार से सभी का सहयोग प्राप्त होता रहेगा जिससे दलमा में वन्यप्राणियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो पायेगी. इस वर्ष दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी में किसी भी वन्यजीव का शिकार नहीं हुआ।