लोकतंत्र सवेरा : झारखंड में पीएससी की परीक्षा तो छोड़िये अब शिक्षक भर्ती और उत्पाद परीक्षा भर्ती को लेकर बनाये नियम पर सवाल उठने लगे हैं. झारखंड में हाल के दिनों में जितनी भर्ती परीक्षा के नियम निर्देश बनाये गये हैं, उसकी औपचारिकता को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. सहायक आचार्य (शिक्षक भर्ती) की भर्ती में चार परीक्षा को लेकर सवाल उठे थे, अब उसी तरह से उत्पाद परीक्षा को लेकर भी चयन प्रक्रिया सवालों में है. बेशक मुख्यमंत्री ने भर्ती को तीन दिन के लिए स्थगित कर दिया है. लेकिन सवाल तो उठता ही है कि आखिर सरकार ने जगने में इतनी देर क्यों लगा दी. उन 12 युवाओं की मौत का हिसाब कौन देगा?
दरअअसल झारखंड में उत्पाद सिपाही भर्ती परीक्षा जानलेवा साबित हो रही है. इस परीक्षा में अब तक 12 अभ्यर्थियों की मौत हो चुकी है. इसकी बड़ी वजह से भीषण गरमी के बीच शारीरिक दक्षता परीक्षा. कमाल की बात ये है कि उत्पाद सिपाही की भर्ती परीक्षा के लिए पहले चरण में ही दौड़ की परीक्षा ली जा रही है. जिसकी वजह से लाखों की भीड़ भर्ती के लिए उमड़ पड़ी है. अगर लिखित परीक्षा के बाद शारीरिक दक्षता ली जाती, तो भीड़ काफी कम हो जाती. वहीं चयन परीक्षा में 10 किलोमीटर की दौड़ को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. बता दें कि JSSC आबकारी कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा 2024 के माध्यम से उत्पाद सिपाही के 583 पदों पर भर्ती हो रही है. शारीरिक परीक्षण में लड़कों को एक घंटे में 10 किलोमीटर दौड़ना है. वहीं लड़कियों को 40 मिनट में 5 किलोमीटर दौड़ना है।
झारखंड अलग राज्य बनने के 24 साल बाद पहली बार यहां उत्पाद सिपाही की भर्ती चल रही है. इसके लिए पुरुष अभ्यर्थियों को 60 मिनट में 10 किमी की दौड़ पूरी करनी पड़ती है. वहीं महिला अभ्यर्थियों के लिए 40 मिनट में पांच किमी दौड़ पूरी करने का प्रावधान है. इतनी लंबी दौड़ को लेकर कई जानकार हैरत जताते हैं. सेना की भर्ती परीक्षा में भी इतनी लंबी दौड़ नहीं होती है. अगर पड़ोसी राज्य बिहार की बात करें तो उत्पाद सिपाही भर्ती में पुरुषों को 1.6 किमी और महिला अभ्यर्थियों को 1 किमी की दूरी ही तय करनी पड़ती है।
झारखंड संभवत : पहला राज्य है, जहां इतनी लंबी दौड़ रखी गई है. अभ्यर्थियों का भी कहना है कि इस गर्मी में इतनी लंबी दूरी की दौड़ पूरी करना काफी मुश्किल है. अभ्यर्थियों की मौत को लेकर लोगों की नाराजगी भी नजर आ रही है. कई अभ्यर्थियों ने गुस्सा जताते हुए सोशल मीडिया पर लिखना शुरू कर दिया है. एक यूजर्स ने लिखा है कि नेता-मंत्री को भी 10 किलोमीटर दौड़ाकर चुनाव में टिकट दिया जाना चाहिये, तब इन्हें अभ्यर्थियों का दर्द का पता चल सकेगा।
फिलहाल तीन दिन के लिए भर्ती परीक्षा रोक दी गयी है, लेकिन सवाल ये है कि उन 12 अभ्यर्थियों की मौत का हिसाब कौन देगा।