जमशेदपुर : कदमा थाना अंतर्गत भाटिया बस्ती निवासी एक आदिवासी महिला और उसकी बच्ची के साथ मारपीट और छेड़खानी के आरोप में गिरफ्तार कदमा मंगल अखाड़ा के निदेशक एवं पूर्व आजसू नेता ब्रजेश सिंह उर्फ मुन्ना सिंह को गुरुवार को एक बार फिर से कदमा पुलिस ने गिरफ्तार किया। पुलिस ने उसे कोर्ट के स्पेशल जज (पॉस्को) न्यायाधीश सिरिश दत्त त्रिपाठी के समक्ष पेश किया, जहां से अदालत ने उसे फिर से रिहा कर दिया।
ब्रजेश सिंह के खिलाफ छेड़खानी के आरोप में भारतीय दंड संहिता की धारा 354 और 354ए तथा पॉस्को एक्ट की धारा 8 और 12 के तहत मामला दर्ज किया गया था। बचाव पक्ष के अधिवक्ता संजीव रंजन बरियार और प्रकाश झा ने अदालत के समक्ष यह तर्क दिया कि दर्ज मामले में तीन साल से अधिक की सजा का प्रावधान नहीं है और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार इस प्रकार के मामलों में आरोपी को जेल भेजना आवश्यक नहीं होता। इसके आधार पर अदालत ने ब्रजेश सिंह को रिहा करने का आदेश दिया।
मालूम हो कि बुधवार को कदमा पुलिस ने ब्रजेश सिंह को आदिवासी महिला के साथ मारपीट और जातिसूचक गालियों के मामले में गिरफ्तार किया था और एडीजे-वन विमलेश कुमार सहाय की अदालत में पेश किया था। अदालत ने उन्हें 10 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी थी और आदेश दिया था कि वे पुलिस की जांच में सहयोग करेंगे। इसके साथ ही उन्हें प्रत्येक माह की 1 से 5 तारीख के बीच कदमा थाने में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी।
हालांकि, पुलिस की प्रक्रिया में चूक होने के कारण लगातार दूसरे दिन ब्रजेश सिंह को लाभ मिला। गुरुवार को कदमा पुलिस ने उसके खिलाफ पॉस्को एक्ट के तहत नया मामला दायर किया, लेकिन कुछ ही घंटों के भीतर मामले की प्रकृति बदलने से आरोपी को फिर से रिहा कर दिया गया।
इस पूरे घटनाक्रम में कदमा पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। आरोप है कि नियमों का सही तरीके से पालन नहीं किया गया, जिसके चलते आरोपी को बार-बार राहत मिल रही है। वायरल हुए वीडियो में ब्रजेश सिंह द्वारा आदिवासी महिला और उसकी बेटी की पिटाई की घटना स्पष्ट दिखाई दे रही है, फिर भी पुलिस की ओर से की गई गलतियों के कारण मामले में अब तक उचित कार्रवाई नहीं हो सकी है।