जमशेदपुर : घाघीडीह जेल में 26 जून 2019 को दो गुटों के बीच हुई मारपीट के बाद कैदी मनोज कुमार सिंह की मौत के मामले में एडीजे 4 राजेंद्र कुमार सिन्हा की अदालत ने सजा के बिंदु पर सुनवायी करते 15 दोषियों को फांसी की सजा सुनायी है. इसके अलावा अन्य 7 अभियुक्तों को 10 साल की सजा सुनायी गयी है. इस मामले में कोर्ट में कुल 15 लोगों की गवाही हुई थी. मनोज सिंह मनीफीट का रहने वाला था और गैंगस्टर अखिलेश सिंह का गुर्गा था।
इनको मिला फांसी का सजा….
कोर्ट ने वासुदेव महतो, अनुप कुमार बोस, जानी अंसारी, अजय मल्लाह, गोपाल तिरिया, पिंकू पूर्ति, श्यामु जोजो, संजय दिग्गी, शिवशंकर पासवान, श्रीराम अंगारिया, गंगा खंडैत, रमाय करूवा, पंचानन पात्रो, रामराय सुरीन और शरद गोप को फांसी की सजा दी गयी है।
कोर्ट इनको सुनाई 10 साल की सजा….
कोर्ट ने ऋषि लोहार, सुमित सिंह, अजीत दास, तौकीर, सौरभ सिंह, सोनू लाल और सोएब अख्तर उर्फ शिबू को 10 साल की सजा सुनायी गयी है. इसके अलावा भी इस मामले में अभी छह के खिलाफ अलग से मामला चल रहा है।
क्या था मामला….
घटना के दिन शाम को घाघीडीह सेंट्रल जेल में दो गुटों के बीच भिड़ंत हो गयी थी. दोनों गुटों के कैदी लाठी और डंडा लेकर एक-दूसरे पर हमला कर रहे थे. लिपिक की ओर से मोबाइल पर जेल अधीक्षक सत्येंद्र चौधरी को सूचना दी गयी थी. आवाज आ रही थी कि हरीश सिंह ने जेल का माहौल बिगाड़ दिया है. इसको जान से मार देंगे. हरीश को बचाकर ऑफिस में लाकर बैठाया गया था. इस बीच हरीश गुट का मनोज सिंह, रिषि लोहार व अन्य ने पंकज दुबे पर हमला बोल दिया था. पूरा विवाद हरीश के कारण उत्पन्न हुआ था. तब उसने एसटीडी बूथ पर जाकर टेलीफोन छीन लिया था. इसका विरोध अमन मिश्रा ने किया था. घटना के बाद मनोज सिंह और सुमित सिंह को इलाज के लिए एमजीएम अस्पताल लाया गया था. एमबुलेंस चालक ने सूचना दी थी कि मनोज की मौत हो गयी है. घटना के संबंध में 17 सजायाफ्ता और विचाराधीन कैदियों के खिलाफ परसुडीह थाना में मामला दर्ज कराया गया था।