जमशेदपुर : आगामी विधानसभा चुनाव में झारखंड के बंगाली समाज की अनदेखी एवं उपेक्षा झारखंड के राजनैतिक दलों को भारी पड़ने वाली है. झारखंड के चौबीसों जिलों के सौ से अधिक बांग्ला संगठनों के संयुक्त फोरम ” झारखंड बांग्ला भाषी उन्नयन समिति ” द्वारा आयोजित किए गए एक संवाददाता सम्मेलन में संगठन की ओर से बतलाया गया कि राज्य गठन के बाद से पिछले चौबीस वर्षों में सत्ता एवं शासन द्वारा बांग्ला भाषा एवं बांग्ला संस्कृति को समाप्त करने का जो कूट सरयंत्र किया जा रहा है उससे क्षुब्ध झारखंड का बंगाली समाज इस बार के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर पिछले दो वर्षों से झारखंड के चौबीसों जिलों के सभी बांग्ला भाषी संगठनों को एक जुट कर ” झारखंड बांग्ला भाषी उन्नयन समिति ” के बैनर तले शहर से लेकर गांव तक बांग्ला भाषियों को संगठित करने का काम किया गया है। जिसकी शुरुआत 19 मार्च,2022 को जमशेदपुर के गोपाल मैदान में लाखों की संख्या में जुटे बांग्ला भाषियों से खचाखच भरे*बंग उत्सव से हुआ था।
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इस बंग उत्सव से ही बंगाली समाज की ओर से स्पष्ट राजनैतिक संदेश देते हुए राज्य के बांग्ला भाषी समाज के भावनाओं से खिलवाड़ करने एवं समाज की अनदेखी करने वाली ताकतों को सतर्क कर दिया गया था और स्पष्ट कर दिया गया था कि झारखंड का बंगाली समाज अब और अपनी भाषा एवं संस्कृति का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा, सदन से सड़क पर उतर कर आंदोलन किया जाएगा। उसी क्रम में रांची में बंग सम्मेलन और फिर बांग्ला सांस्कृतिक मेला का आयोजन, रामगढ़ में झारखंड बंगाली समिति का राज्यधिवेशन, दुमका में बांग्ला भाषा पर सेमिनार, सभी चौबीसों जिलों के उपायुक्त के माध्यम से मुख्य मंत्री को ज्ञापन, 11दिसंबर,2023 को रांची में विशाल प्रदर्शन कर राजभवन के समक्ष धारणा एवं राज्यपाल महोदय को ज्ञापन समर्पण, सितंबर2024 को
सभी उपायुक्त कार्यालय के समक्ष महाधारणा आयोजित कर मुख्य मंत्री के नाम ज्ञापन समर्पण कर आंदोलन को गति देने का काम किया गया।
इस बीच झारखंड के सभी राजनैतिक दलों के प्रदेश अध्यक्ष को पत्र लिखकर राज्य के बांग्ला भाषी समाज की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए आगामी विधानसभा चुनाव में बांग्ला बहुल इलाकों में बांग्ला भाषियों को टिकट देने की मांग की गई,जिससे बांग्ला भाषी समाज का उचित प्रतिनिधित्व हो सके। परन्तु राज्य के किसी भी राजनैतिक दल ने इस पर अभी तक कोई भी सार्थक कदम नहीं उठाया गया है।
झारखंड के कुल आबादी का 42 प्रतिशत आबादी,अर्थात एक करोड़ तीस लाख आबादी बांग्ला भाषी हैं, जो राज्य में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इसलिए इस एक करोड़ तीस लाख बांग्ला भाषियों की अनदेखी करने की कोशिश जो भी राजनैतिक दल करेगा, उसको उसका परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा, क्योंकि इस बार बंगाली समाज ने पूरी तैयारी कर ली है, और वे अब चुप नहीं बैठेंगे. आगामी दिनों में समिति के कोर कमिटी की बैठक आयोजित कर आगामी विधानसभा चुनाव में बांग्ला समुदाय अपनी अगली रणनीति तैयार करेगा।