जमशेदपुर : झारखंड की जमशेदपुर पूर्व सीट पर विधानसभा चुनाव की चर्चा पूरे राज्य में हो रही है. इसका कारण यहां निर्दलीय चुनाव लड़ रहे शिव शंकर सिंह हैं. उनकी उम्मीदवारी ने इस सीट पर चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया है. विधानसभा चुनाव 2024 के दौरान राज्य की कुछ सीटों पर सियासी जंग काफी रोचक है. इन सीटों में झारखंड की जमशेदपुर पूर्व सीट भी शामिल है. इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है. यहां भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने ओड़िशा के राज्यपाल और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की बहु पूर्णिमा दास को मैदान में उतारा है।
क्या दावेदारी वापस लेंगे शिव शंकर सिंह?
जब शिव शंकर सिंह से पूछा गया कि क्या उन्हें मनाने के लिए रघुवर दास या प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का फोन आया था. इस पर शिव शंकर सिंह ने कहा कि उनके पास किसी का फोन नहीं आया था. सिंह से यह भी पूछा गया कि क्या कोई ऐसा शख्स है, जिसका फोन आने पर वह अपनी दावेदारी वापस ले सकते हैं. इस पर सिंह ने कहा कि वह किसी भी कीमत पर अपनी दावेदारी वापस नहीं लेंगे।
दांव पर लगा दिया सियासी करियर….
शिव शंकर सिंह से पूछा गया कि क्या वह भविष्य में बीजेपी में वापसी करने के बारे में सोच रहे हैं. इस पर उन्होंने कहा कि वर्तमान में वह जनता के बीच रहकर काम कर रहे हैं. सिंह ने दावा किया कि उन्होंने जमशेदपुर पूर्व की जनता की मांग पर अपना नामांकन भरा है और जमशेदपुर पूर्व की जनता ही चुनाव लड रही है और मैं चेहरा मात्र हूं।
यह विरोधियों के द्वारा मेरे खिलाफ दुष्प्रचार किया जा रहा है. वास्तविकता यह है कि मैं राष्ट्रवादी हूँ और यही मेरी विचारधारा है. मैं और पूर्वी की जनता केवल और केवल परिवारवाद का विरोध कर रहें हैं. लोकतंत्र में परिवारवाद अभिशाप है यह पार्टी के सभी वरिष्ठ नेतागण भी मानते हैं किंतु यहां पार्टी की क्या मजबूरी थी कि इतने कार्यकर्ताओं में कोई भी चुनाव लड़ने के योग्य नही मिला और एक खास परिवार के बहु को उम्मीदवार बना दिया गया।
श्री सिंह ने कहा कि लोकतंत्र में कोई सीट किसी की विरासत नही हो सकती. किंतु उस परिवार को सामने आकर चुनौती देने की हिम्मत कोई नही कर पा रहा. ये तो पूर्व की जनता ने ठान लिया है कि परिवारवाद को किसी कीमत पर हराना है और पार्टी में लोकतंत्र को बचाना है. वर्ना शिव शंकर सिंह की क्या सामर्थ्य थी कि हजारों की संख्या में समर्थकों का हुजूम साथ चल पडे. सभी विरोधी घबराहट में बेचैन नजर आ रहें हैं।