जमशेदपुर : सनातन उत्सव समिति ने आज साकची स्थित कार्यालय में एक प्रेस वार्ता आयोजित कर झारखंड में बदलती डेमोग्राफी और बढ़ती चुनौतियों पर चिंता व्यक्त की। समिति के संस्थापक चिंटू सिंह ने हिंदू समाज से एकजुट होकर आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा के पक्ष में मतदान करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि “देश के इतिहास से सबक लेकर हमें यह समझना चाहिए कि जब-जब हम जाति, मत, भाषा, और प्रांत के आधार पर बंटे हैं, विभाजनकारी ताकतों ने इस फूट का लाभ उठाया है।”
चिंटू सिंह ने राज्य में लव जिहाद, लैंड जिहाद, जमाई जिहाद और बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या को उठाते हुए इसे हिंदू और आदिवासी समाज के लिए गंभीर खतरा बताया। सिंह के अनुसार, “झारखंड की डेमोग्राफी पर गहरा असर पड़ रहा है। भोले-भाले आदिवासियों का धर्मांतरण हो रहा है और वोट बैंक की राजनीति के कारण झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस इस संवेदनशील मुद्दे पर मौन हैं।” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह स्थिति जारी रही, तो यह राज्य की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान के लिए खतरा बन सकता है।
जनजागरण अभियान का ऐलान
प्रेस वार्ता के दौरान चिंटू सिंह ने घोषणा की कि समिति जमशेदपुर पूर्वी और आसपास के क्षेत्रों में व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाएगी, जिसमें एक लाख से अधिक हैंडबिल्स का वितरण किया जाएगा। इसके माध्यम से लोगों को राष्ट्रवादी और हिंदुत्व समर्थित विचारधारा के प्रति जागरूक किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हमें ऐसी सरकार चुनने की जरूरत है जो हमारे धर्म, संस्कृति और परंपराओं की रक्षा कर सके।”
इस प्रेस वार्ता में समिति के अन्य सदस्य वीर सिंह, ललित राव, कुलदीप सिंह और अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित थे, जिन्होंने अपने विचार साझा किए।
“चादर और फादर की सरकार को उखाड़ फेंकने की जरूरत”
चिंटू सिंह ने झारखंड में धर्मांतरण के मुद्दे पर हमला बोलते हुए कहा कि तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति के चलते कांग्रेस और झामुमो सरकार इस विषय पर कार्रवाई करने से बच रही है। उन्होंने कहा, “हमें ऐसी सरकार चाहिए जो हमारी रोटी, बेटी और माटी की सुरक्षा कर सके। अब समय आ गया है कि चादर और फादर की सरकार को उखाड़ फेंका जाए और इसके लिए राष्ट्रवादी सोच रखने वाले सभी मतदाताओं को एकजुट होकर भाजपा का समर्थन करना चाहिए।”
सनातन उत्सव समिति ने इस प्रेस वार्ता के जरिए एकता और जागरूकता का संदेश दिया और कहा कि राज्य में राष्ट्रवादी सरकार लाना अब एक सामाजिक और सांस्कृतिक आवश्यकता बन चुकी है।