प्रो डॉ पार्थ प्रतीम मुखोपाध्याय ने बताया कि कोबरा जैसे जहरीले सांपों के काटने के बाद उसका जहर शरीर में रक्त या लसीका के माध्यम से फैल जाता है. परिणामस्वरूप रक्त जमने लगता है. पर अगर सर्पदंश के उक्त ओरल मेडिसिन मरीज को दिया जाये तो यह खून को जल्दी जमने नहीं देगा. परिणामस्वरूप, जहर पूरे शरीर में तेजी से नहीं फैलेगा. डॉ मुखोपाध्याय ने बताया कि सुंदरवन के एक सुदूर गांव में रहने वाले लोगों को अस्पताल तक पहुंचे में दो से तीन नदियों को पार करना पड़ता है. ऐसे में रास्ते में ही मरीज की मौत हो जाती है. यह नयी ओरल टैबलेट ऐसे सुदूर इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए उपयोगी होगी. उन्होंने बताया कि इस टैबलेट का इंजेक्शन भी तैयार किया जा रहा है. फिलहाल सुंदरवन में 19 लोगों को इंजेक्शन लगाया गया है. उन्होंने बताया कि इंजेक्शन टैबलेट की तुलना में बहुत तेजी से काम करता है. ऐसे में अगर ओरल दवा की ट्रायल पूरी तरह से सफल रहती है और इसका कारगर प्रभाव सिद्ध हो जाता है, तो इसे इंजेक्शन के रूप में बाजार में लाने का प्रयास किया जायेगा।
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