जमशेदपुर : भाजपा के एक सूत्र ने दावा किया कि चुनाव में एक आदिवासी मुख्यमंत्री का चेहरा पेश न करना उसे महंगा पड़ा. एक अन्य नेता ने दावा किया कि पूरा शो ‘बाहर से आए दो नेताओं’ द्वारा चलाया गया था और राज्य भाजपा ने अपने लोगों को नजरअंदाज करके दूसरे दलों से आए नेताओं को टिकट दिया. भाजपा के मौजूदा विधायक केदार हाजरा पूर्व मंत्री लुईस मरांडी के साथ चुनाव से ठीक पहले पार्टी नेताओं पर उदासीनता का आरोप लगाते हुए झामुमो में शामिल हो गए।
-जनता से जुड़े जमीनी मुद्दों को उठाने में विफल रही पार्टी….
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. बागीश चंद्र वर्मा ने बताया कि भाजपा अपने पूरे अभियान के दौरान जनता से जुड़े जमीनी मुद्दों को उठाने में विफल रही और पार्टी का अभियान राष्ट्रीय मुद्दों और ‘घुसपैठ’ पर केंद्रित था जिससे ग्रामीण जनता जुड़ने में विफल रही।
महिला मतदाताओं की भूमिका केंद्र में रही…
रांची विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष वर्मा ने कहा कि झामुमो के पारंपरिक वोट बैंक (मुस्लिम, ईसाई और आदिवासी) में महिलाओं को ‘मंईयां सम्मान योजना’ जैसी योजनाओं के जरिये जोड़ा गया. ‘मंईयां सम्मान योजना’ के तहत 18-50 वर्ष की महिलाओं को मौजूदा सहायता राशि 1000 रुपये के बजाय 2,500 रुपये प्रति माह करने का वादा किया गया था. झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में से 68 पर महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से अधिक है।