जमशेदपुर : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने रविवार को कहा कि राज्य में कथित तौर पर बढ़ती बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ भाजपा का आंदोलन सामाजिक है न कि राजनीतिक या चुनावी. विधानसभा चुनाव में सरायकेला सीट से जीत हासिल करने वाले सोरेन ने दावा किया कि पाकुड़ और साहिबगंज समेत राज्य के कई जिलों में आदिवासी अल्पसंख्यक हो गए हैं. उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, जैसा कि हमने पहले भी कहा था, झारखंड में लगातार बढ़ रहे बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ हमारा आंदोलन कोई राजनीतिक या चुनावी मुद्दा नहीं, बल्कि एक सामाजिक अभियान है. हमारा स्पष्ट तौर पर मानना है कि वीरों की इस माटी पर घुसपैठियों को किसी भी प्रकार का संरक्षण नहीं मिलना चाहिए. उन्होंने कहा, पाकुड़, साहिबगंज समेत कई जिलों में आदिवासी समाज आज अल्पसंख्यक हो चुका है. अगर हम राज्य के मूल निवासियों की जमीनों और यहां रहने वाली बहू-बेटियों की अस्मत की रक्षा ना कर सके, तो क्या होगा…?
उन्होंने लिखा, चुनावी गहमागहमी के बाद, वीर सिदो-कान्हू, चांद-भैरव एवं वीरांगना फूलो-झानो को नमन करके, बहुत जल्द हम लोग संथाल परगना की भूमि पर अपने अभियान का अगला चरण शुरू करेंगे. सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेंगी-बिगड़ेंगी मगर हमारा समाज रहना चाहिए, हमारी आदिवासी पहचान बची रहनी चाहिए, अन्यथा कुछ नहीं बचेगा. बांग्लादेश से कथित घुसपैठ उन प्रमुख मुद्दों में से एक थी जिस पर भाजपा ने विधानसभा चुनाव लड़ा था, हालांकि जनता ने इस मुद्दे को ज्यादा तवज्जो नहीं दी. झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 24 सीट जीतीं जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की अगुवाई वाले गठबंधन को 56 सीट पर जीत हासिल हुई।