जमशेदपुर : नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की कोलकाता बेंच में जमशेदपुर के केबुल कर्मचारियों की लेनदारी खारिज हो गयी है. जमशेदपुर के लगभग दो हजार कर्मचारियों का लगभग 350 से 400 करोड़ रुपये बकाया है. जबकि कोलकाता के मजदूरों के दावे को स्वीकार कर रेजोल्यूशन प्रोफेशनल को सत्यापित करने को कहा है. एनसीएलटी कोलकाता बेंच ने इंकैब जमशेदपुर के मजदूरों के प्रतिनिधि भगवती सिंह की ओर से दायर सभी आवेदनों को बिना कारण बताये खारिज कर दिया है. साथ ही जमशेदपुर के केबुल मजदूरों की लेनदारी को भी बिना कोई कारण बताये खारिज कर दिया है. केबुल कंपनी से सेवानिवृत्त कर्मचारियों की ओर से याचिका दायर करने वाले भगवती सिंह ने कहा कि वे इस आदेश के खिलाफ अपील दायर करने पर विचार कर रहे हैं।
एनसीएलटी, कोलकाता की न्यायिक सदस्य विदिशा बनर्जी की बेंच ने रेजोल्यूशन प्रोफेशनल को आदेश दिया कि वह कमला मिल्स लिमिटेड, पेगासस एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी और ट्रापिकल बेंचर के दावों को फिर से सत्यापित करे. कोर्ट ने लेनदारों की समिति को अवैध घोषित नहीं किया. लेनदारों के बहुत से फैसलों को बदलाव के साथ स्वीकार कर लिया. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 6 जनवरी 2016 के अपने आदेश में सिर्फ बैंकों की लेनदारी का जिक्र किया था. उसमें बैंकों द्वारा कमला मिल्स, फस्क्वा, पेगासस एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी और ट्रापिकल बेंचर को एनपीए बेचने का कोई जिक्र नहीं था. एनसीएलटी, कोलकाता ने रेजोल्यूशन प्रोफेशनल को कमला मिल्स, पेगासस एसेट रिकंस्ट्रक्शन आदि को बैंकों द्वारा बेचे गये एनपीए के डीड ऑफ असाइनमेंट को सत्यापित करने को कहा है।
द इंडियन केबुल वर्कर्स यूनियन के महामंत्री रामविनोद सिंह की ओर दायर याचिका को भी एनसीएलटी ने खारिज कर दिया है. राम विनोद सिंह ने एनसीएलटी में एक आवेदन दायर कर कहा था कि भगवती सिंह को नहीं सुना जाये. उनकी जगह उनकी याचिका को सुना जाये. एनसीएलटी ने उनके आवेदन को अवैध करार देते हुए खारिज कर दिया।