जमशेदपुर : नारायण प्राइवेट आईटीआई लुपुंगडीह चांडिल में भगवान महावीर की जयंती मनाई गई एवं उनके तस्वीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया । इस अवसर पर संस्थान के संस्थापक डॉक्टर जटाशंकर पांडे जी ने कहा कि महावीर जन्म कल्याणक जैन धर्म में सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहारों में से एक है । यह वर्तमान अवसर्पिणी के चौबीसवें और अंतिम तीर्थंकर (सर्वोच्च उपदेशक) महावीर के जन्म का जश्न मनाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर पर, यह उत्सव मार्च या अप्रैल में होता है।जैन ग्रंथों के अनुसार महावीर का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तेरहवीं तिथि को 599 ईसा पूर्व (चैत्र सुद 13) को हुआ था। श्वेतांबर परंपरा के अनुसार उनका जन्म बिहार के क्षत्रियकुंड में हुआ था। कुछ आधुनिक इतिहासकार कुंडग्राम (जो आज बिहार के मुजफ्फरपुर जिले का कुंडलपुर है) को उनका जन्मस्थान मानते हैं। उनका जन्म एक लोकतांत्रिक राज्य (गणराज्य), वज्जि में हुआ था, जहाँ राजा को वोटों से चुना जाता था। वैशाली इसकी राजधानी थी। उनके जन्म के समय राज्य में बढ़ी हुई समृद्धि के कारण उनका नाम वर्धमान रखा गया, जिसका अर्थ है “जो बढ़ता है”।
वासोकुंड में महावीर ग्रामीणों द्वारा पूजनीय हैं । अहिल्या भूमि नामक स्थान पर सैकड़ों वर्षों से उस परिवार द्वारा हल नहीं चलाया गया है, जो इसका मालिक है,महावीर का जन्म इक्ष्वाकु वंश के ज्ञाता कुल में कुंडग्राम के राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के पुत्र के रूप में हुआ था। माना जाता है कि गर्भावस्था के दौरान त्रिशला को 16 शुभ सपने आए थे , जो सभी एक महान आत्मा के आने का संकेत थे। जैन धर्म के श्वेतांबर संप्रदाय का मानना है कि मां ने 16 और दिगंबर संप्रदाय का मानना है कि मां ने सोलह सपने देखे थे जिनकी व्याख्या राजा सिद्धार्थ ने की थी। ऐसा कहा जाता है कि जब रानी त्रिशला ने महावीर को जन्म दिया, तो स्वर्गीय प्राणियों ( देवों ) के प्रमुख इंद्र ने सुमेरु पर्वत पर अभिषेक नामक एक अनुष्ठान किया , यह पाँच शुभ घटनाओं ( पंच कल्याणकों ) में से दूसरा है , जो सभी तीर्थंकरों के जीवन में घटित होता है।
इस अवसर पर मुख्य रूप से मौजूद रहे। जिला मंत्री आकाश महतो (भाजपा), नवीन महंती, मिथुन रूहीदस, जयदीप पांडे,शांति राम महतो, पवन कुमार महतो, देवाशीष मंडल,शुभम साहू,अजय मंडल,सशी प्रकाश महतो, संजीत महतो, प्रकाश महतो,आदि उपस्थित रहे।