DEOGHAR : देवघर में लगने वाला विश्व प्रसिद्ध राजकीय श्रावणी मेला नजदीक है। इस मेले को लेकर बाबा मंदिर के महंत सह सरदार पंडा गुलाबनंद ओझा ने कहा कि यह मेला न केवल बाबा नगरी की पहचान है, बल्कि पूरे झारखंड का सबसे लंबा चलने वाला धार्मिक आयोजन है। पूरे श्रावण माह चलने वाले इस मेले में हर दिन लाखों कांवरिये सुल्तानगंज से जल भरकर बाबा नगरी पहुंचते हैं और शिवगंगा में स्नान कर गंगाजल से बाबा भोलेनाथ का जलार्पण करते हैं।
सरदार पंडा ने बताया कि यह परंपरा कोई आज की नहीं, बल्कि युगों युगों से चली आ रही है। बाबा मंदिर में साल दर साल भीड़ बढ़ती जा रही है, जो इस बात का प्रतीक है कि लोगों की आस्था और श्रद्धा में कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि भीड़ के अनुसार सुविधाएं भी बढ़ रही हैं, लेकिन इसके साथ-साथ समुचित व्यवस्था बनाए रखना बेहद आवश्यक है।
गुलाबनंद ओझा ने कहा कि हर तीर्थ स्थल पर पूजा-पाठ के लिए मंदिर का पट खोलने और बंद करने का समय तय होता है, लेकिन बाबा मंदिर में यह परंपरा अब समाप्त हो चुकी है। उन्होंने कहा कि बाबा मंदिर में दिन-रात भक्तों की भीड़ रहती है और मंदिर का पट लगभग निरंतर खुला रह रहा है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति प्रशासन, पंडा धर्मरक्षिणी सभा और अन्य स्टेक होल्डर्स के साथ मिल बैठकर पुनः विचार करने योग्य है।
सरदार पंडा ने मांग की है कि मंदिर परिसर और मेला क्षेत्र में जगह-जगह आपातकालीन संपर्क नंबर प्रदर्शित किया जाए, ताकि जरूरत पड़ने पर लोग संबंधित विभागों से संपर्क कर सहायता प्राप्त कर सकें। उन्होंने कहा कि मेला का विराट स्वरूप और सुचारु संचालन तभी संभव है, जब सभी विभाग आपसी समन्वय से कार्य करें।
सरदार पंडा ने सोशल मीडिया में वायरल हो रहे वीडियो पर भी चिंता जाहिर की, जिसमें प्रशासनिक भवन से बड़ी संख्या में लोगों को मंदिर में प्रवेश कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इससे प्रशासन, पुरोहित समाज और मंदिर व्यवस्था की छवि धूमिल हो रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रशासनिक भवन के ऊपरी तल पर दंडाधिकारी व पुलिस पदाधिकारी की नियुक्ति की जाए, जो सूचीबद्ध वीआईपी को चिन्हित कर पूजा कराएं और शेष को रोका जाए।
राजकीय श्रावणी मेला देवघर की एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है, जिसमें लाखों भक्त बाबा भोलेनाथ का जलार्पण करते हैं। सरदार पंडा ने व्यवस्था में सुधार की मांग की है और कहा है कि मेला का सुचारु संचालन तभी संभव है, जब सभी विभाग आपसी समन्वय से कार्य करें।
