भाजपा के भी रफीक़ रहे “रफीकुल मुल्क” मुलायम सिंह यादव
लखनऊ से नवेद सिकोह की एक रिपोर्ट : जिन्दगी और मौत से लड़ रहे मुलायम सिंह यादव की जीत हो, वो जल्दी स्वस्थ हों, यही हर आम और खास की कामना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रभु राम से कामना की है। नेता जी मुलायम सिंह यादव की हालत क्रिटिकल बनी हुई है। गुरुग्राम स्थित वेदांता अस्पताल मे उनका इलाज चल रहा है। उनकी हालत में सुधार के लिए लोग दुआएं कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर समाजवादी कुछ ज्यादा ही भावुक हैं। कोई लिख रहा है- समाजवाद का सूरज आईसीयू में। तो कोई कह रहा है-गुरुग्राम ध्यान रखना, हमारा ख़ुदा तुम्हारी हिफाज़त में है।
ये जंग भी जीत जाएंगे…
एक बुजुर्ग बोले- नेता जी बहुत सख्त जान हैं। हर मुश्किल वक्त को पछाड़ देता है ये पहलवान। ये जंग भी जीत जाएंगे। बुजुर्ग की बात में दम है। सियासी सफर में तो मुलायम हर सख्त वक्त को मुलायम करने में माहिर रहे हैं। बुरे से बुरे वक्त को अच्छे वक्त में कन्वर्ट करना उन्हें खूब आता है। बहुत सारे खूबियों में एक खूबी ये भी है कि अपने तो अपने विरोधियों के लिए भी वो मददगार रहे हैं। शायद इसीलिए आज नेता जी के समर्थक ही नहीं विरोधी भी उनके स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना कर रहे हैं। क्योंकि वो समर्थकों के ही नहीं धुरविरोधियों के भी रफीक़ रहे हैं।
मुल्क की राजनीति में अहम रोल…
रफीक़ का अर्थ है- साथी, सहयोगी, मददगार, दोस्त, सहायक..। मुलायम सिंह यादव को “रफीक़ुल मुल्क” का ख़िताब शायद इसीलिए दिया गया क्योंकि वो सिर्फ मुल्क के ही मददगार नहीं बल्कि उनकी राजनीति इनके विरोधी दल भाजपा तक के लिए भी मददगार साबित हुई।उन्हें सिर्फ नेता कहना नाकाफी है।देश की सियासत पर असर छोड़ने की तासीर का नाम भी मुलायम सिंह यादव है। आजादी के बाद करीब चार दशक तक यूपी में एकक्षत्र राज करने वाली किसी पार्टी (कांग्रेस) का वर्चस्व तोड़ने की क़ूबत का नाम भी मुलायम है। यूपी में बहुजन समाज की जड़ों को दोस्ती का खाद-पानी देकर बसपा को पहली बार सत्ता में सहभागिता दिलाने और यूपी में पहले सियासी तालमेल की जादूगरी का नाम भी मुलायम है।
मुलायम सिंह से भाजपा को मिली ऊर्जा…
आज़ादी के बाद तीस-चालीस बरस तक ठीक से रेंग पाने में भी अक्षम भाजपा की गाड़ी को रफ्तार देने के ईंधन का नाम भी मुलायम सिंह यादव है। राजनीतिक पंडित कहते हैं कि अयोध्या विवाद और वीपी सिंह की मंडल-कमंडल को मुलायम सिंह रंग ना देते तो शायद आज भाजपा इस मुकाम पर न होती। सियासत में रिवर्स गेम की एजाद करने वाले मुलायम एम-वाई फेक्टर में जितना आगे बढ़े उससे कई गुना आगे धीरे-धीरे भाजपा कुछ ऐसे बढ़ी कि वो आज पूरे देश में सबसे ताकतवर पार्टी बन गई। समाजवादी पार्टी ना होती तो शायद भाजपा की सियासी पिक्चर अस्सी-बीस के मसाले से सुपरहिट न होती।