जमशेदपुर। बारीगोड़ा निवासी हेमनंदन रजक की मौत ने एक बार फिर बिजली विभाग की लापरवाही को उजागर कर दिया है। सोमवार 8 जुलाई को जर्जर अवस्था में लगे बिजली के खंभे में करंट आने से उनकी मौके पर ही मौत हो गई। हेमनंदन अपने परिवार का इकलौता सहारा थे और उनकी मौत ने पूरे परिवार को अंधकार में धकेल दिया है।
घटना के बाद जदयू के महानगर सचिव विकास कुमार, जिला परिषद सदस्य कुसुम पूर्ति और मुखिया सुनीता नाग के नेतृत्व में सैकड़ों आक्रोशित बस्तीवासियों ने बिजली विभाग के महाप्रबंधक कार्यालय का घेराव किया। प्रदर्शन के दौरान विभाग के जीएम से वार्ता हुई, जिसमें मृतक के परिजनों को ढाई लाख से पांच लाख रुपये के बीच मुआवजा देने और परिवार के एक सदस्य को एजेंसी के माध्यम से नौकरी देने का प्रस्ताव जारी किया गया।
जिला परिषद सदस्य कुसुम पूर्ति ने कहा कि बिजली विभाग की लापरवाही से हर साल ऐसी घटनाएं हो रही हैं, लेकिन विभाग सबक लेने को तैयार नहीं है। उनके अनुसार क्षेत्र के कई जगहों पर बिजली के खंभे जर्जर हालत में हैं, कहीं बांस के सहारे बिजली के तार टंगे हैं, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। अगर बिजली विभाग समय रहते सुधार नहीं करता तो लोग उग्र आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
हर हादसे के बाद मुआवजा और नौकरी का वादा कर देना क्या व्यवस्था की विफलता का समाधान है? आखिर कब तक सरकारी विभाग लापरवाही करते रहेंगे और लोग अपनी जान गंवाते रहेंगे? यह मुआवजा व्यवस्था मृतक के परिवार के भविष्य का सहारा तो बन सकती है, लेकिन सवाल यह है कि मौत को टालने के लिए पहले से जरूरी सुधार क्यों नहीं किए जाते? सिस्टम का दायित्व सिर्फ मौत की ‘कीमत’ तय करना नहीं, बल्कि लोगों की जिंदगी बचाना भी है। अगर अब भी विभाग नहीं जागा तो ऐसी मौतें जारी रहेंगी और हर जिंदगी की कीमत कुछ लाख रुपये से आंकी जाती रहेगी।
