झारखंड गिरिडीह जिले के बगोदर अस्पताल से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। सरकारी सेवा में तैनात डॉ. विनय कुमार प्रभारी पर गंभीर आरोप लगे हैं कि वे ड्यूटी समय के दौरान ही अपने सरकारी आवास में प्राइवेट क्लिनिक चलाते हैं और मरीजों को देख रहे थे।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि— मौके पर मौजूद लोगों ने पूरी घटना का वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें डॉक्टर साफ़ तौर पर सरकारी नौकरी की परवाह किए बिना प्राइवेट प्रैक्टिस करते दिखाई दे रहे हैं।
यह घटना न सिर्फ़ सरकारी नियमों का खुला उल्लंघन है, बल्कि उन मरीजों के साथ भी धोखा है जो अस्पताल में डॉक्टर का घंटों इंतज़ार करते रह जाते हैं।
जनता में आक्रोश!…..
स्वास्थ्य विभाग से कड़ी कार्रवाई की मांग**
स्थानीय नागरिकों ने इस अनियमितता पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। लोगों का कहना है कि:
अस्पताल में मरीज डॉक्टर के इंतज़ार में परेशान रहते हैं,
जबकि डॉक्टर साहब ड्यूटी समय में ही क्लिनिक चला रहे हैं!
जनता ने स्वास्थ्य विभाग से उच्च स्तरीय जांच, डॉक्टर की जवाबदेही तय करने और तत्काल विभागीय कार्रवाई की मांग की है।
वीडियो वायरल – सवालों के घेरे में पूरा अस्पताल प्रबंधन
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है, जिससे पूरे अस्पताल प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।
लोग कह रहे हैं: “ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर अगर क्लिनिक में बैठेंगे, तो आम जनता को इलाज कहाँ मिलेगा?”
अब जनता की नजर स्वास्थ्य विभाग पर—
क्या होगी कार्रवाई?…..
जनता की निगाहें अब स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई पर टिकी हैं। क्या दोषी डॉक्टर पर सख्त विभागीय कदम उठाए जाएंगे, या मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा? हालांकि यह वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करते हैं।
- केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा (Central Health Service) नियम
Central Health Service (CHS) Rules, 2014 के तहत केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा (जैसे AIIMS, JIPMER, PGIMER आदि) में नियुक्त सरकारी डॉक्टरों को कोई भी प्राइवेट प्रैक्टिस करने की अनुमति नहीं होती—ना तो मरीजों से परामर्श, ना ही लैब/क्लीनिक प्रैक्टिस। अगर कोई डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस करता है, तो वह नियमों का सीधा उल्लंघन है और उसके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
झारखंड में सरकारी डॉक्टरों के लिए प्राइवेट प्रैक्टिस के नियम
- मूल नियम — प्राइवेट प्रैक्टिस पर प्रतिबंध
झारखंड सरकार ने पहले सरकारी डॉक्टरों को निजी प्रैक्टिस (प्राइवेट क्लिनिक/नर्सिंग होम/डायग्नोस्टिक सेंटर में प्रैक्टिस) पर प्रतिबंध लगाया हुआ था।
इसके तहत सरकारी ड्यूटी के दौरान या उसके दौरान किसी निजी सेवा में शामिल होना मना था।
यह प्रतिबंध 2016 के एक सरकारी सर्कुलर/नियम में स्पष्ट किया गया था कि ड्यूटी समय के दौरान प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं की जा सकती और निजी क्लीनिक सरकारी अस्पताल के पास निर्धारित दूरी के भीतर नहीं खोला जा सकता।
- प्रैक्टिस का स्थान और समय
उस पुराने प्रावधान के अनुसार सरकारी डॉक्टर:
अपने ड्यूटी समय के दौरान बिल्कुल भी प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर सकते।
अगर प्रैक्टिस करनी है, तो वह ड्यूटी के बाद ही (अर्थात सरकारी ड्यूटी पूरा होने के बाद) ही मान्य थी।
साथ ही निजी क्लीनिक/नर्सिंग होम सरकार के अस्पताल के 500 मीटर (शहरी) और 250 मीटर (ग्रामीण) के भीतर नहीं खोला जा सकता था।
अगर निजी क्लिनिक चलना है तो विभाग को शपथ पत्र देना अनिवार्य होता है। लेकिन डॉक्टर विनय कुमार ने पत्र विभाग को नहीं दिया है।
सरल भाषा में क्या नियम हैं/थे?
ड्यूटी समय में प्राइवेट प्रैक्टिस प्रतिबंधित है।
ड्यूटी के बाद शर्तों के साथ सीमित प्रैक्टिस की अनुमति देने पर विचार किया जा रहा रहा।
सरकारी अस्पताल के पास निजी प्रैक्टिस/क्लिनिक का संचालन प्रतिबंधित कर दिया गया था।
हाल में नियमों में बदलाव की प्रक्रिया जारी है और संक्रमणकालीन स्थिति बनी हुई है।
क्या होता है अगर डॉक्टर नियम तोड़ते हैं?
नियमों के उल्लंघन पर आमतौर पर अनुशासनात्मक कार्रवाई।
वेतन रोक/निलंबन…..
सेवा समाप्ति तक की कार्रवाई जैसी सज़ाएँ लग सकती हैं (नियमों और प्रशासनिक निर्णय के अनुसार)।
