रांची : RIMS (राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान) की ज़मीन पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण के मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने बड़ा और सख़्त आदेश दिया है। इस आदेश के बाद सरकारी अफसरों की मुश्किलें बढ़ना तय माना जा रहा है। हाईकोर्ट ने साफ शब्दों में कहा है कि इस पूरे मामले में अफसरों की भूमिका संदिग्ध है, इसलिए अब ACB (एंटी करप्शन ब्यूरो) से जांच कराई जाएगी।
ACB जांच के साथ FIR का आदेश…..
20 दिसंबर को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने और पूरे प्रकरण की ACB जांच कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि दोषी अधिकारियों, संस्थाओं और बिल्डरों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
मुख्य न्यायाधीश की सख़्त टिप्पणी…..
मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह और न्यायाधीश सुजीत नारायण की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि—
“RIMS की ज़मीन पर अतिक्रमण और निर्माण बिना अफसरों की मिलीभगत के संभव नहीं है। इस मामले में जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जा सकता।”
ज़मीन खरीद-बिक्री से लेकर नक्शा पास तक जांच……
हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि:
RIMS के लिए अधिग्रहित ज़मीन की खरीद-बिक्री
अवैध नक्शा पास करने
बैंकों द्वारा इसी ज़मीन पर बने फ्लैट्स के लिए लोन देने
इन सभी बिंदुओं की गहन जांच की जाए।
आम लोगों के प्रति सहानुभूति…..
कोर्ट ने उन आम नागरिकों के प्रति सहानुभूति जताई है जिन्होंने बैंक से कर्ज लेकर फ्लैट खरीदे और अब जालसाजी के शिकार हो गए। न्यायालय ने स्पष्ट कहा—
“नुकसान झेलने वाले लोग मुआवजे के हकदार हैं।”
सरकारी खजाने से नहीं, अफसरों से होगी वसूली…..
हाईकोर्ट ने दो टूक कहा कि मुआवजे का बोझ सरकारी खजाने पर नहीं डाला जाएगा।
इस पूरे प्रकरण में शामिल हर स्तर के दोषी अधिकारियों से ही नुकसान की भरपाई कराई जाएगी।
अगली सुनवाई 6 जनवरी को…..
इस मामले में अब अगली सुनवाई की तारीख 6 जनवरी तय की गई है। यह याचिका ज्योति शर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका और स्वतः संज्ञान से शुरू की गई PIL पर आधारित है। इसके अलावा पहले भी हरनारायण लोखोटिया की जनहित याचिका पर CBI जांच के आदेश दिए जा चुके हैं।
संक्षेप में…….
RIMS अतिक्रमण मामला
अफसरों पर ACB जांच
FIR दर्ज करने का आदेश
दोषियों से मुआवजा वसूली
सरकारी खजाने पर बोझ नहीं
अगली सुनवाई 6 जनवरी
पूरा मामला अब निर्णायक मोड़ पर, दोषियों पर शिकंजा कसना तय!
