चांडिल : चांडिल डैम में इन दिनों पर्यटकों की बढ़ती आवाजाही के बीच पर्यटन व्यवस्था और सुरक्षा मानकों को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। दूर-दराज से आने वाले पर्यटक पिकनिक और नौका विहार का आनंद तो ले रहे हैं, लेकिन अव्यवस्थाओं और लापरवाही के चलते उनकी सुरक्षा को लेकर चिंताएं लगातार बढ़ रही हैं।
नौका विहार संचालन पर असमंजस…..
वर्तमान में चांडिल डैम में नौका विहार संचालन को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं मानी जा रही है। पूर्व में चांडिल डैम विस्थापित मत्स्यजीवी स्वावलंबी सहकारी समिति द्वारा बोटिंग कराई जा रही थी, जिस पर वैध मान्यता और पर्यटन विभाग की विधिवत बंदोबस्ती के बिना संचालन के आरोप लगे थे। बताया जाता है कि एक ही जलाशय में अलग-अलग स्थानों पर दो समितियों द्वारा बोटिंग कराई जा रही थी, जिसे नियमों के विपरीत बताया गया।
इसी बीच नया इकरारनामा सामने आया है, जिसके तहत अब चांडिल डैम में नौका विहार संचालन की जिम्मेदारी चांडिल सुवर्णरेखा बांध विस्थापित मत्स्यजीवी सहकारी समिति को दी गई है। इस संबंध में झारखंड टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (जेटीडीसी) द्वारा एडवेंचर ट्रैवल्स अकादमी के मालिक गुरप्रीत सिंह (प्रथम पक्ष) और समिति के प्रतिनिधि सरदीप कुमार नायक (द्वितीय पक्ष) के साथ समझौता किया गया है। समिति के अनुसार, उन्हें पांच वर्षों के लिए संचालन की अनुमति मिली है और विभाग द्वारा विभिन्न प्रकार की नावें चांडिल डैम पहुंचाई जा चुकी हैं। दावा किया जा रहा है कि एक सप्ताह के भीतर नौका विहार की विधिवत शुरुआत कर दी जाएगी। हालांकि, सवाल यह भी उठ रहा है कि पूर्व में संचालन करने वाली समिति की बकाया राशि अब तक क्यों जमा नहीं की गई और क्या नए समझौते के साथ पुराने विवादों व सुरक्षा खामियों का समाधान होगा।
घोड़नेगी डैम के नाम पर पार्किंग शुल्क भी सवालों के घेरे में……
पर्यटकों और स्थानीय लोगों ने घोड़नेगी डैम के नाम पर वसूले जा रहे पार्किंग शुल्क को लेकर भी आपत्ति जताई है। पार्किंग रसीद पर ‘सफाई एवं देखभाल हेतु’ शुल्क लिखा हुआ है, लेकिन रसीद में किसी प्रकार का पंजीयन संख्या या अधिकृत कंपनी/संस्था का नाम अंकित नहीं है। लोगों का सवाल है कि यदि पार्किंग स्थल पर वाहन चोरी हो जाए या आगजनी जैसी कोई घटना घटे, तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? किस आधार पर यह शुल्क वसूला जा रहा है और किस प्रकार की देखभाल की जा रही है?
बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव…..
पर्यटन स्थल पर शौचालय की समुचित व्यवस्था नहीं है। जो शौचालय मौजूद हैं, उनमें साफ-सफाई का अभाव बताया जा रहा है। भीड़ बढ़ने पर पर्यटकों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, डैम क्षेत्र में जगह-जगह टूटी शराब की बोतलें, प्लास्टिक की बोतलें और पन्नियां बिखरी पड़ी रहती हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है।
शराबखोरी और सुरक्षा पर गंभीर चिंता……
स्थानीय लोगों और पर्यटकों का आरोप है कि चांडिल बांध के किनारे, पानी के मुहाने पर बिना किसी रोक-टोक के शराब का सेवन किया जाता है। शराब पीने के बाद कई पर्यटक सीधे पानी में उतरकर सेल्फी लेने लगते हैं। ऐसे में यदि कोई दुर्घटना होती है, तो उन्हें बचाने के लिए पर्याप्त प्रशिक्षित तैराक या गाइड की व्यवस्था नहीं दिखाई देती। कुछ महिलाओं ने यह भी आरोप लगाया है कि शराब के नशे में कई लोग छेड़खानी जैसी हरकतें करते हैं, जिससे वे स्वयं को असुरक्षित महसूस करती हैं।
इंश्योरेंस और जवाबदेही पर सवाल……
पर्यटकों का कहना है कि यह स्पष्ट नहीं है कि नौका विहार या अन्य गतिविधियों के दौरान दुर्घटना होने पर कोई इंश्योरेंस कवर शामिल है या नहीं। यदि इंश्योरेंस शुल्क लिया जाता है, तो सुरक्षा व्यवस्था क्यों नाकाफी है, और यदि नहीं लिया जाता, तो इसकी अनदेखी क्यों?
विस्थापितों का हित बनाम अव्यवस्था……
स्थानीय सामाजिक संगठनों और विस्थापितों का कहना है कि चांडिल डैम का निर्माण विस्थापितों के हितों की रक्षा के लिए किया गया था, न कि अव्यवस्थित तरीके से शुल्क वसूली या कथित तौर पर धन के बंटवारे के लिए। निमाई सिंह सरदार और करम चंद मंडल के नाम पर पार्किंग शुल्क वसूले जाने को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं कि यह किसी पंजीकृत कंपनी या अधिकृत संस्था के नाम से क्यों नहीं लिया जा रहा। भविष्य में किसी विवाद की स्थिति में पर्यटकों के पास यह प्रमाण कैसे होगा कि उन्होंने अधिकृत पार्किंग में वाहन खड़ा किया था?
उच्च स्तरीय जांच और सुधार की मांग……
पर्यटक, विस्थापित और सामाजिक लोग एक स्वर में मांग कर रहे हैं कि चांडिल डैम और घोड़नेगी डैम के नाम से क्षेत्र में पर्यटन संचालन, पार्किंग शुल्क, सुरक्षा मानक, स्वच्छता और विधि-व्यवस्था की उच्चस्तरीय जांच हो। साथ ही, स्पष्ट नियम, जवाबदेही तय करने और पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि चांडिल डैम वास्तव में सुरक्षित और व्यवस्थित पर्यटन स्थल बन सके।
