सुपौल : सरायगढ़ अंचल के शाहपुर गांव में रविवार की रात यह भीषण हादसा हुआ। बताया जा रहा है कि घूरा (अलाव) से उठी एक छोटी सी चिंगारी ने देखते ही देखते विकराल रूप धारण कर लिया। हवा के रुख और कच्चे मकानों की अधिकता के कारण आग ने पूरे टोले को अपनी चपेट में ले लिया, जिससे 41 परिवारों के आशियाने पूरी तरह नष्ट हो गए।
आधी रात को मची अफरा-तफरी, आसमान के नीचे आए ग्रामीण…….
जब आग लगी, उस समय अधिकांश ग्रामीण गहरी नींद में थे। आग की लपटें देख गांव में अफरा-तफरी मच गई और लोग जान बचाने के लिए बदहवास होकर सुरक्षित ठिकानों की ओर भागे। इस अग्निकांड में लोगों के घर ही नहीं, बल्कि अंदर रखा अनाज, कपड़े, बर्तन, नकदी और महत्वपूर्ण दस्तावेज भी जलकर खाक हो गए। स्थिति इतनी विकट है कि कई परिवारों के पास अब तन ढकने के लिए कपड़े तक नहीं बचे हैं।
प्रशासन ने शुरू किया नुकसान का आकलन……
घटना की सूचना मिलते ही अगले दिन सुबह अंचलाधिकारी के नेतृत्व में प्रशासनिक टीम शाहपुर पहुंची। अधिकारियों ने प्रभावित क्षेत्र का मुआयना कर नुकसान का सर्वे किया है। प्रशासन की ओर से पीड़ितों के बीच तत्काल राहत सामग्री का वितरण किया गया है और सभी प्रभावित परिवारों को सरकारी प्रावधानों के अनुसार शीघ्र मुआवजा राशि दिलाने का आश्वासन दिया गया है।
संसाधनों की कमी पर उठे सवाल……
इस दर्दनाक हादसे के बाद ग्रामीणों में प्रशासन के प्रति रोष भी देखा जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि क्षेत्र में अग्निशमन (फायर सेफ्टी) के पर्याप्त संसाधन और आपातकालीन व्यवस्था समय पर उपलब्ध होती, तो नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता था। यह घटना ग्रामीण इलाकों में आपदा प्रबंधन की तैयारियों की पोल खोलती नजर आ रही है।
