नई दिल्ली : कोरोना महामारी के बाद अब दुनिया एक और बड़े स्वास्थ्य संकट की ओर बढ़ती दिख रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एंटीबायोटिक के बढ़ते दुरुपयोग को लेकर कड़ी चेतावनी देते हुए इसे खामोश, लेकिन बेहद खतरनाक महामारी बताया है। प्रधानमंत्री की इस चिंता को स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने समय की सबसे बड़ी जरूरत करार दिया है। उनका कहना है कि अगर अभी ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में सामान्य संक्रमण भी जानलेवा साबित हो सकते हैं।
क्या है खामोश महामारी……
स्वास्थ्य विशेषज्ञ जिस खतरे की ओर इशारा कर रहे हैं, वह है एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR)। यह वह स्थिति होती है जब बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्मजीव दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो जाते हैं और एंटीबायोटिक दवाएं असर करना बंद कर देती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) पहले ही AMR को दुनिया के शीर्ष 10 वैश्विक स्वास्थ्य खतरों में शामिल कर चुका है।
पीएम मोदी की चिंता क्यों अहम…..
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एंटीबायोटिक का गलत और जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल इस संकट को तेजी से बढ़ा रहा है। बुखार, सर्दी-खांसी या वायरल संक्रमण में बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक लेना आम हो गया है, जो बेहद खतरनाक है। पीएम ने डॉक्टरों, मरीजों और दवा कंपनियों से जिम्मेदारी के साथ व्यवहार करने की अपील की।
भारत में क्यों बढ़ रहा है खतरा…..
- विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में AMR के बढ़ने के कई कारण हैं।
- बिना पर्ची के एंटीबायोटिक की उपलब्धता।
- मरीजों द्वारा दवा का पूरा कोर्स न करना।
- पशुपालन और पोल्ट्री में एंटीबायोटिक का अत्यधिक उपयोग।
- अस्पतालों में संक्रमण नियंत्रण और स्वच्छता की कमी।
- इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की रिपोर्ट बताती है कि देश में कई आम बैक्टीरिया अब पहली पंक्ति की दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो चुके हैं।
डराने वाले वैश्विक आंकड़े……
WHO के अनुसार, यदि एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस पर काबू नहीं पाया गया तो वर्ष 2050 तक दुनिया में हर साल करीब 1 करोड़ लोगों की मौत हो सकती है। भारत जैसे विकासशील देशों पर इसका असर सबसे ज्यादा पड़ने की आशंका जताई गई है।
अभी नहीं चेते तो देर हो जाएगी……
स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि पीएम मोदी की चेतावनी केवल एक बयान नहीं, बल्कि भविष्य के खतरे का संकेत है। एंटीबायोटिक का विवेकपूर्ण इस्तेमाल, डॉक्टर की सलाह का पालन और जनजागरूकता ही इस खामोश महामारी से बचाव का रास्ता है। कोरोना ने यह सिखाया है कि स्वास्थ्य संकट को हल्के में लेना भारी पड़ सकता है और AMR उसी तरह का अगला बड़ा खतरा बनकर उभर रहा है।
