बिहार में भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड यानी नीतीश कुमार की राहें अलग हो चुकी हैं। उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल समेत कई अन्य पार्टियों के साथ मिलकर सियासत चलाने का फैसला किया है। कहा जा रहा है कि इससे भाजपा को बड़ी चोट पहुंची हैं, लेकिन अगर मौजूदा सियासी हाल को देखें तो थोड़े समय के लिए मुश्किल में आई बीजेपी के लिए बिहार में कई फायदे भी इंतजार कर रहे हैं।
चुनाव में ज्यादा सीटों पर लड़ सकेगी भाजपा
बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से साल 2020 में भाजपा ने 110 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। जबकि, उस दौरान जदयू के 115 नेता मैदान में थे। वहीं, 2010 में भाजपा को चुनाव लड़ने के लिए केवल 102 सीटें मिली थीं, लेकिन नीतीश की पार्टी ने 141 सीटों पर दावेदारी पेश की थी। अब जब पार्टी बगैर नीतीश के साथ के चुनाव में उतरेगी, तो उसके पास सीटों का दायरा भी बढ़ जाएगा।