BIHAR : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 7 साल पहले यानि 2016 के अप्रैल में बिहार में पूर्ण शराबबंदी लगा दी थी। तब से बिहार में शराब के बेचने और पीने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाती है।
बिहार में पिछले कई सालों से नीतीश कुमार के कार्यकाल में शराबबंदी कानून लागू है। इसके बावजूद यहां बड़ी संख्या में जहरीली शराब पीने से मौत होती है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने शराबबंदी को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं।
जज, डीएम और वकील सब पीते हैं शराब
जमुई पहुंचे जीतनराम मांझी ने कहा कि जज, वकील, डीएम, एसपी और दरोगा सब लोग शराब पीते हैं। शराब पीने पर गरीब मजदूर जेल जाता है। बड़े-बड़े शराब माफिया को नहीं पकड़ा जाता है। गरीब पीने वाले को जेल भेज दिया जाता है।
शराबबंदी की खोली पोल
जीतनराम मांझी नागरिक अभिवादन सह शिक्षा सम्मान कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जमुई पहुंचे हुए थे। यहीं उन्होंने बिहार सरकार में लागू शराबबंदी कानून की पोल खोल दी है।
अप्रैल 2016 में नीतीश कुमार ने लागू की शराबबंदी
नीतीश कुमार ने अप्रैल 2016 में बिहार में शराब की बिक्री पर रोक लगा दी थी। पूरे राज्य में कहीं भी शराब पीने और बेचने पर कानूनी कार्रवाई की जाती है। इसके बावजूद बिहार में धड़ल्ले से शराब बिक रही है और लोग पी भी रहे हैं।
बिहार में अवैध शराब का कारोबार
बिहार में शराब की बिक्री न होने से इसके पीने वालों में कोई कमी नहीं आई है। बिहार के कई घरों में अवैध रूप से शराब बनाई जा रही है या दूसरे राज्यों से तस्करी करके लाई जा रही है। जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत भी हो जाती है।
कटिहार में जहरीली शराब पीने से मौत
हाल ही में बिहार के कटिहार में दो लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हो गई। एक व्यक्ति की हालत गंभीर है। मृतकों की पहचान शेख सद्दाम और अमित कुमार साह के रुर में हुई है। मोहम्मद बदरुद्दीन की हालत गंभीर बताई जा रही है।