माओवादियों के लिए सबसे सेफ जोन माना जाता है बूढ़ा पहाड़
लातेहार : माओवादियों के सबसे सेफ जोन और पनाहस्थल बूढ़ा पहाड़ को पुलिस ने चारों तरफ से घेर लिया है। आर-पार लड़ाई की पूरी तैयारी है। माओवादियों को करारा झटका तब लगा जब उसके एक बंकर को पुलिस ने ध्वस्त कर दिया। अबतक ढेर सारे लैंड माइंस जैसे सिलेण्डर बम, प्रेशर कूकर बम, चाईनिज ग्रेनेड, केन बम एवं टिफिन बम पुलिस को मिले हैं। करीब 106 शक्तिशाली तरह-तरह के बम और ग्रेनेड बरामद की गई है। 350 से ज्यादा जिंदा गोलियां, 500 मीटर कोडेक्स वायर, अमोनियम नाईट्रेट, हैंड पम्प सिलेण्डर, तीन बम, आधा अधुरा बने बैरल ग्रेनेड लॉन्चर भी मिले हैं। बूढ़ा पहाड़ वहीं इलाका है, जहां माओवादियों की हुकुमत चलती है।
एक समय था कि बूढ़ा पहाड़ का नाम सुनते ही लोग खासकर पुलिस की रूह कांप उठती थी। झारखंड अलग राज्य बनने के बाद तत्कालीन डीजीपी टीपी सिन्हा के मजबूत इरादे ने बूढ़ा पहाड़ पर चढ़ाई कर माओवादियों के कई बंकर और टेंट ध्वस्त और उजाड़ डाले थे। डीजीपी सिन्हा ने यह जता दिया था कि पुलिस चाहे तो कुछ भी कर सकती है।
तब महिला IPS आईजी मंजरी जरूहार और उनके IPS पति IG राकेश जरूहार के नेतृत्व में सुरक्षा बलों ने बूढ़ा पहाड़ पर धावा बोला था। तब डीजीपी टीपी सिन्हा ने अपने चेम्बर में आईजी मंजरी जरूहार को बुला सिर्फ इतना कहां था कि “यहां बैठ कर जो कुर्सी तोड़ते रहती हो, जाओ, खुली छूट है, माओवादियों की कमर तोड़ दो।” खुली छूट के बाद पहली दफा तब झारखंड पुलिस बूढ़ा पहाड़ को रौंद डाला था।
वहीं कुछ अलग कर दिखा देने का जोश, जुनून और जज्जा दूसरी दफा डीजीपी नीरज सिन्हा में झलक रहा। सख्त तेवर के IG अभियान वेणुकांत होमकर का भी उन्हें पूरा साथ मिल रहा। पहाड़ पर झारखंड पुलिस द्वारा बड़ी कारर्वाई की जा रही है। बीते 4 सितम्बर से ताबड़तोड़ अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान का नाम ”आॉक्टोपस” रखा गया है। ”आॉक्टोपस” अभियान में सीआरपीएफ, कोबरा, जगुआर, जैप और जिला बल के जाबांज जवानों को झोंका गया है।
सबको एक ही टास्क दिया गया है कि किसी भी हालत में माओवादियों का खात्मा कर देना है। कुछ दिन पहले सरायकेला और चाईबासा में ताबड़तोड़ चले अभियान का रिजल्ट सामने आया। दो माओवादियों को मार गिराया गया। इसमें एक महिला नक्सली थी। वहीं विदेशी उम्दा किस्म के हथियार बरामद किये गये।