दिल्ली। देश भर में आज (बुधवार) भारत बंद का आह्वान किया गया है। केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के मंच ने इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है। इस हड़ताल में 25 करोड़ से अधिक श्रमिकों के शामिल होने की उम्मीद है, जिसमें बैंकिंग, बीमा, डाक, कोयला खनन और राज्य परिवहन समेत विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के लगभग 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी शामिल हो रहे हैं। आइए जानते हैं कि इस बंद का स्कूलों, बैंकों और अन्य सेवाओं पर क्या असर पड़ेगा।
बैंकों ने 9 जुलाई के लिए कोई आधिकारिक अवकाश घोषित नहीं किया है, लेकिन बैंक कर्मचारी यूनियनों, जैसे कि ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन (AIBEA), ने हड़ताल में शामिल होने की पुष्टि की है। इसके कारण, देश भर में बैंकिंग सेवाएं, जैसे नकद लेनदेन, चेक क्लीयरेंस और शाखा सहायता, प्रभावित हो सकती हैं। हिंद मजदूर सभा के हरभजन सिंह सिद्धू ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि भारत बंद के कारण देशभर में बैंकिंग सेवाएं बाधित रहेंगी। बंगाल प्रोविंशियल बैंक इम्प्लॉइज एसोसिएशन, जो ऑल इंडिया बैंक इम्प्लॉइज एसोसिएशन से संबद्ध है, उसने भी इस हड़ताल में भाग लेने की पुष्टि की है। हालांकि सरकार की ओर से अभी तक बैंक अवकाश की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। बैंकिंग के साथ-साथ बीमा क्षेत्र के कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल हो रहे हैं, जिससे क्लेम प्रक्रिया, पॉलिसी सेवाएं आदि प्रभावित हो सकती हैं। वहीं, डाक सेवाओं में भी बड़े पैमाने पर रुकावट की संभावना है, खासकर डिलीवरी और अन्य लॉजिस्टिक सेवाओं में।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, 27 लाख से अधिक बिजली विभाग के कर्मचारी भी इस बंद में शामिल होंगे। इससे बिजली आपूर्ति प्रभावित हो सकती है, विशेषकर राज्यों में जहां बिजली वितरण पूरी तरह से सरकारी एजेंसियों के अंतर्गत आता है। रेलवे को लेकर फिलहाल कोई आधिकारिक हड़ताल की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन प्रदर्शन और रास्ता रोको जैसे विरोध कार्यक्रमों के चलते ट्रेनों की आवाजाही में देरी या रुकावट संभव है। यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे यात्रा से पहले अपने गंतव्य की स्थिति की जानकारी लें।
फिलहाल, किसी भी राज्य सरकार ने भारत बंद के कारण स्कूलों और कॉलेजों के लिए आधिकारिक अवकाश की घोषणा नहीं की है। अधिकांश राज्यों में स्कूल और कॉलेज सामान्य रूप से खुले रहने की उम्मीद है। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन की कमी या सड़क जाम के कारण छात्रों और शिक्षकों को परेशानी हो सकती है। विशेष रूप से कर्नाटक में, शिक्षा विभाग स्थिति पर नजर रखे हुए है। अभिभावकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने स्कूलों से संपर्क करें और स्थानीय स्थिति की जानकारी लें, क्योंकि कुछ निजी संस्थान परिवहन की स्थिति के आधार पर निर्णय ले सकते हैं।
