वायरल न्यूज : कोविशील्ड. यह नाम आपको याद है. कोराना काल का टीका. वही टीका जिसके लगाने पर आपको एक सर्टिफिकेट मिलता था. उस सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर होती थी. वही टीका जिसे लेकर हमें गर्व करना सिखाया गया कि इसे भारत ने बनाया. जबकि इसका फॉर्मूला एस्ट्राजेनेका ने बनाया था. आदर पूनावाला ने बस अपने लैब में बनाया था. उसी कोविशील्ड को लेकर देशभर में थैंक्यू मोदी के होर्डिंग लगाये गये थे. यूके की एक अदालत में उसी कोविशील्ड का कबूलनामा सामने आया है. उसने कहा है कि कोविशील्ड टीटीएस बीमारी का कारण बन सकता है. इसकी वजह से खून गाढ़ा हो जाता है. थक्के जम जाते हैं और ब्रेन स्ट्रॉक व हर्ट अटैक हो सकता है. विपक्ष इसे एक बड़ा मुद्दा बनाने को लेकर सक्रिय हो गया है।
विपक्ष इसे मुद्दा बनाता है या नहीं, वह जाने. लेकिन कोविशील्ड का कबूलनामा उन लोगों के लिए डराने वाला है, जिन्होंने टीका लिया था. आप कोरोना के बाद के हालात पर गौर करें. क्या आपने अपने आसपास हर्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रॉक की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी. हां देखी. तो एक और खबर, जिसे छिपा लिया गया, उसे जानना जरुरी है. गुगल में आप भी सर्च कर सकते हैं. वैक्सीन लगवाने से हुई मौतों के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा. 29 नवंबर 2022 की यह खबर आपको दिखेगी. दरअसल, वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स के कारण दो बेटियों की मौत के बाद एक व्यक्ति ने कोर्ट में याचिका दाखिल किया था. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा थाः मृतकों के परिजनों के प्रति उनकी संवेदनाएं हैं, लेकिन टीके के किसी भी प्रतिकूल प्रभाव के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं है. मतलब, सर्टिफिकेट में अपने नेता की तस्वीर लगाएंगे, लेकिन जिम्मेदारी लेते वक्त खुद को अलग कर लेंगे।
एक और खबर जो आम लोगों तक पहुंची ही नहीं…..
गुगल में सर्च करके आप भी जान सकते हैं. खबर यह है कि सरकार ने वैक्सीन की दो डोज मुफ्त में लोगों को लगवायी थी. मतलब सीरम इंस्टीच्यूट से सरकार ने खरीद कर लोगों को मुफ्त मुहैया कराया था. बूस्टर डोज लोगों को खरीद करके लगवानी थी. लेकिन लोगों ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखायी. वैक्सीन का एक्सपायरी डेट करीब आने लगा था. तब केंद्र सरकार ने बूस्टर डोज को भी खरीद ली और लोगों को मुफ्त लगाने के लिए उपलब्ध कराया. हालांकि इन सबके बाद भी लोगों ने बूस्टर डोज में दिलचस्पी नहीं दिखायी थी. हम देख रहे हैं कि हमारे आसपास ऐसी घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है, जिसमें चलता-फिरता, नाचता-गाता कोई इंसान अचानक से मर जाता है. देशभर में ऐसी हजारों घटनाएं सामने आयीं. लेकिन सरकार ने इस पर कभी बात नहीं की. जांच की बात तो दूर है।
अपने देश में 18 से 45 वर्ष के उम्र के लोगों में तेजी से बढ़ रहे हर्ट अटैक के मामलों पर शोर शुरु हुआ तो इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने एक स्टडी शुरु की. दिसंबर 2023 में आईसीएमआर ने अपनी स्टडी में बताया कि कोविड वैक्सीन का हर्ट अटैक से कोई संबंध नहीं है. इसी रिपोर्ट का हवाला देकर स्वास्थ्य मंत्री ने मीडिया में बयान दिया कि कोविशील्ड वैक्सीन से हर्ट अटैक का कोई संबंध नहीं है. आईसीएमआर ने अक्टूबर 2021 से मार्च 2023 के बीच 729 ऐसे मामलों का अध्ययन किया था, जिसमें 18 से 45 वर्ष के उम्र के लोगों की मौत हर्ट अटैक से हो गई थी. इन मामलों की तुलना इसी उम्र के 2000 से ज्यादा लोगों के मामलों से की गई, जिन्हें हर्ट अटैक आया था और वह जिंदा बच गए थे. अब एस्ट्रेजेनका के कबूलनामे के बाद आईसीएमआर की स्टडी की विश्वसनीयता भी सवालों के घेरे में आ गया है।
इस बीच विपक्षी दलों ने कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया व इसके मालिक आदर पुनावाला द्वारा भाजपा को इलेक्ट्रॉल बॉण्ड के जरिये 52 करोड़ रुपये का चंदा देने के मामले को उठाना शुरु कर दिया है. लोकसभा चुनाव के वक्त इस खुलासे की वजह से भाजपा के लिए दिक्कत यह है कि कोविड वैक्सीन बनाने की पूरी प्रक्रिया में केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं थी. ना ही इसके साईड इफेक्ट के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है. लेकिन यह भी सच है कि कोरोना काल में वाहवाही सरकार ने लूटी. होर्डिंग-पोस्टर में मोदी जी को धन्यवाद दिया. वैक्सीन के सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगी था. अब इसके नुकसान सामने आ रहे हैं, तो इसे सरकार की साथ से जोड़ कर ही देखा जाने लगा है।
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