नईदिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सात साल पहले टीवी पर एलान किया था कि रात 12 बजे से 1000 और 500 के नोट चलन से बाहर हो जाएंगे। उनके एक ऐलान से महज चार घंटे में 86% करेंसी यानी 15.44 लाख करोड़ रुपए के नोट चलन से बाहर हो गए।पुराने नोट बंद होने से अचानक करेंसी रिक्वॉयरमेंट बढ़ा और रिजर्व बैंक ने RBI एक्ट 1934 के सेक्शन 24(1) के तहत 2 हजार रुपए के नोट छापने शुरू कर दिए।
इससे करेंसी शॉर्टेज तो पूरा हो गया, लेकिन नई समस्या पैदा हो गई। लोग घुसखोरी और जमाखोरी में दो हजार के नोट का उपयोग करने लगे, क्योंकि इसे रखने और परिवहन में आसानी होती हैं। इस समस्य को समाप्त करने के लिए आरबीआई ने 19 मई 2023 यानी करीब 6 साल बाद 2000 रुपये के नोट को चलन से बंद का एलान किया है। अब आप 30 सितंबर तक बैंकों में जाकर अपनी दो हजार की नोट बदल सकते हैं, हां एक बार में केवल बीस हजार ही बदल सकेंगे।
सरकार का दाव पड़ा उलटा…..
सरकार ने बाजार से नकली नोट को हटाने और नए फीचर वाले नोट लांच करने का एलान किया था। लेकिन कालेधन के सौदागर इसका भी तोड़ निकाल लिया, दो हजार के नोट को अवैध रूप से जमाखोरी करने लगे, इसलिए सरकार ने नोटबंदी के हालात सामान्य होने के बाद से ही धीरे—धीरे दो हजार के नोट गायब करने शुरू कर दिए इसके बाद भी छापे गए नोट के मुकाबले आधी भी नोट आरबीआई तक नहीं पहुंची तो सरकार को ऐसा फैसला लेना पड़ा।
नोट कालेधन के रूप में स्टोर हैं….
आरबीआई से मिली जानकारी के अनुसार देश में कम वैल्यू वाले नोटों यानी 5, 10, 20, 50 और 100 रुपये के नोटों की खराब होने की दर 33% सालाना है। यानी हर साल छोटे वैल्यू के एक तिहाई नोट खराब हो जाते हैं। वहीं 500 रुपए के नोटों के मामले में यह दर 22% और 1000 रुपए के नोटों के खराब होने की दर 11% है।कालेधन के आंकलन में इस आंकड़े का भी इस्तेमाल होता है।
माना जाता है कि जो नोट कालेधन के रूप में स्टोर हैं उनके खराब होने की दर बहुत कम होगी है। यानी असल लेन-देन में छोटी वैल्यू के नोटों का ही इस्तेमाल ज्यादा होता है। रिजर्व बैंक के इन आंकड़ों से अंदाज 2016 से पहले एक अंदाज लगाया गया कि देश में 7.3 लाख करोड़ का काला धन है। हालांकि नोटबंदी के बाद कालेधन के सभी गणित फेल हो गए। 99.3% नोट बैंकों में जमा हो गए। सिर्फ करीब 10,720 करोड़ के नोट बैंकों में नहीं लौटे।