अखबार है…अखबार था…और अखबार रहेगा…बस जमाना बदला हम बदले.. हमारा नजरिया बदला.. अब डिजिटल युग में सोशल मीडिया का बाजार है.. ये वहीं पत्रकार है. जो आपका सुख भी लिखते है. दुख भी लिखते है. जरूरत पड़ने पर समाज को आईना भी दिखाते है. सदियों से समय-समय पर पत्रकारिता पर प्रहार होता रहा है. लेकिन क्या इससे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाने वाला पत्रकारिता डर गया और बंद हो गया क्या ??. आज भी उसी अंदाज में पूरे देश-विदेश से लेकर विश्व भर में अपनी पहचान बिखेर रहा है।
खींचो न कमानों को न तलवार निकालो.. जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो….
पत्रकार हूँ, चलता फिरता समाचार हूँ। कलम ही हमारी ताकत है, जान पर अनेकों आफत है, फिर भी लिखता चलता हूँ।
आवाज़-हीन की आवाज हूँ, लोकतंत्र का मैं साज हूँ, जनता की आलोचनाओं का बनता मैं शिकार हूँ।
कलम के बूते ही मैं खिलता हूँ, कलम के चलते ही मैं चलता हूँ। रोज नए खबर के लिए निकल पड़ता हूँ, कई बार गिरता, कई बार संभलता हूँ, इन सब को कर दरकिनार हर रोज हिम्मत बांधे मैं निकलता हूँ।
चमकता आईना के पोर्टल ये खबर चलने पर मचा है धमसान पढ़े… खबर को लिंक पर क्लिक करके
https://www.chamaktaaina.com/threat-to-newspapar/
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