चांडिल : दीनबंधु पांडा : चांडिल डैम में पर्यटकों की बढ़ती आमद के बीच पर्यटन व्यवस्था, नौका विहार संचालन और सुरक्षा मानकों को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। पिकनिक और बोटिंग के लिए दूर-दराज से पहुंच रहे पर्यटक जहां प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले रहे हैं, वहीं अव्यवस्था और लापरवाही उनकी सुरक्षा पर सवालिया निशान लगा रही है।
नौका विहार संचालन को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं….
चांडिल डैम में नौका विहार संचालन को लेकर लंबे समय से असमंजस की स्थिति बनी हुई है। पूर्व में चांडिल बांध विस्थापित मत्स्यजीवी स्वावलंबी सहकारी समिति द्वारा बोटिंग कराए जाने पर वैध मान्यता और पर्यटन विभाग की विधिवत बंदोबस्ती के बिना संचालन के आरोप लगते रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि एक ही जलाशय में अलग-अलग स्थानों पर दो समितियों द्वारा नौका विहार कराए जाने की स्थिति भी सामने आई थी, जो नियमों के विपरीत मानी जा रही है।
इसी क्रम में हाल ही में नया इकरारनामा सामने आया है, जिसके तहत अब चांडिल डैम में नौका विहार संचालन की जिम्मेदारी चांडिल सुवर्णरेखा बांध विस्थापित मत्स्यजीवी सहकारी समिति को दी गई है। बताया जा रहा है कि झारखंड टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन द्वारा एडवेंचर ट्रैवल्स अकादमी के मालिक गुरप्रीत सिंह और समिति के प्रतिनिधि सरदीप कुमार नायक के साथ पांच वर्षों के लिए समझौता किया गया है। समिति का दावा है कि विभाग द्वारा नावें उपलब्ध कराई जा चुकी हैं और एक सप्ताह के भीतर विधिवत नौका विहार की शुरुआत की जाएगी। हालांकि, यह सवाल अब भी बना हुआ है कि पूर्व में संचालन करने वाली समिति की बकाया राशि और पुराने विवादों का समाधान कैसे होगा।
बुनियादी सुविधाओं और स्वच्छता की स्थिति चिंताजनक…..
पर्यटन स्थल पर शौचालय की समुचित व्यवस्था नहीं होने से पर्यटकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जो शौचालय उपलब्ध हैं, उनमें साफ-सफाई का अभाव बताया जा रहा है। भीड़ के समय महिलाओं और बच्चों के लिए स्थिति और भी मुश्किल हो जाती है।
इसके साथ ही डैम क्षेत्र में जगह-जगह टूटी शराब की बोतलें, प्लास्टिक और कचरा बिखरा होने से पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, जिस पर अब तक कोई ठोस पहल नजर नहीं आ रही है।
पार्किंग शुल्क और राजस्व को लेकर सवाल…..
चांडिल डैम क्षेत्र में पार्किंग शुल्क वसूली को लेकर भी असमंजस की स्थिति है। निमाई सिंह सरदार और करम चंद मंडल के नाम पर शुल्क वसूले जाने की बात सामने आ रही है, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि यह वसूली किसी पंजीकृत कंपनी या अधिकृत संस्था के नाम से क्यों नहीं की जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि भविष्य में किसी विवाद की स्थिति में पर्यटकों के पास यह साबित करने का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं होगा कि उन्होंने अधिकृत पार्किंग का उपयोग किया था।
कलिंदी समाज के अध्यक्ष का गंभीर आरोप…..
इस पूरे मामले पर कलिंदी समाज के अध्यक्ष कृष्णा कलिंदी ने मीडिया और सोशल मीडिया में चल रही खबरों के आधार पर श्यामल मार्डी और नारायण गोप पर अवैध नौकायन कराने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। कृष्णा कलिंदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि अवैध नौकायन बंद नहीं हुआ, तो विस्थापितों और सामाजिक संगठनों को आंदोलन का रास्ता अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
उन्होंने आगे कहा कि वह स्वयं भी एक पीड़ित विस्थापित हैं और उन्हें यह जानने का पूरा अधिकार है कि सरकार का पैसा कहां जा रहा है और किस तरह खर्च हो रहा है। चांडिल डैम का निर्माण विस्थापितों के विकास और उन्नति के लिए किया गया था, न कि अव्यवस्थित संचालन और राजस्व की हानि के लिए। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि किसी भी स्थिति में सरकारी राजस्व को नुकसान नहीं होना चाहिए।
उच्च स्तरीय जांच और ठोस व्यवस्था की मांग…..
पर्यटक, विस्थापित और स्थानीय सामाजिक संगठन एक स्वर में मांग कर रहे हैं कि चांडिल डैम और घोड़नेगी डैम से जुड़े पर्यटन संचालन, नौका विहार, पार्किंग शुल्क, सुरक्षा मानक, स्वच्छता और विधि-व्यवस्था की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। साथ ही स्पष्ट नियम और जवाबदेही तय करते हुए ऐसे ठोस कदम उठाए जाएं, जिससे चांडिल डैम को सुरक्षित, पारदर्शी और सुव्यवस्थित पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सके।
