रांची : शनिवार की देर शाम रिम्स के मेडिसीन वार्ड के डा अजीत डुंगडुंग के वार्ड में डाक्टर और मरीज के स्वजनों के बीच मारपीट का मामला सामने आया है। डाक्टर के द्वारा मरीज को देखने को लेकर यह घटना घटित हुई है। बताया जा रहा है कि शाम करीब 7:30 बजे मेडिसीन वार्ड में डा किसलय, डा वरुण और डा नितिन की ड्यूटी लगी थी और सभी मरीजों की जांच कर रहे थे। इसी दौरान एक मरीज अंकित कुमार सिंह जो कि पिछले दस दिनों से जीबी सिंड्रोम से पीड़ित था उसके स्वजनों ने ड्यूटी पर तैनात डाक्टर से मरीज देखने को कहा। जिस पर डाक्टर ने कहा कि आप शांत रहें मैं वहां पहुंच रहा हूं। लेकिन इतने में मरीज के साथ मौजूद लोगों ने अपना आपा खो दिया और डाक्टर को भला बुरा कहने लगे और धक्कमुक्की करने लगे। जिसके बाद डा वरुण ने भी मरीज के स्वजनों को वहां से भाग जाने को कहा। इसके बाद मामला मारपीट तक पहुंच गया और कुछ देर के लिए पूरे वार्ड में हो हंगामा होने लगा। दोनों पक्षों से मारपीट होने लगी। वहीं वहां मौजूद सिक्योरिटी गार्ड सिर्फ मूकदर्शक की भूमिका में ही नजर आए। मामले को शांत कराने के बजाए वे मारपीट देखते रहे। मामला इतना बढ़ गया कि मरीज के साथ आए लोग बरियातु थाना में मामला दर्ज कराने पहुंच गए। यही नहीं इलाज कराने आए मरीज और उनके साथ आए लोग इस घटना के बाद फरार हो गए। इस घटना के बाद माहौल लगातार बिगड़ता चला गया और सभी जूनियर डाक्टर इस घटना के बाद हड़ताल पर चले गए। जिस कारण करीब दो घंटे तक इमरजेंसी में डाक्टरी सेवाएं बाधित हो गई। वहां एडमिट मरीज और उनके स्वजन काफी परेशान हो गए। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई और मामले की पड़ताल में जुट गई।
दो घंटे तक बाधित रही डाक्टरी सेवाएं
वहीं दूसरी ओर जेडीए अध्यक्ष डा जयदीप भी अन्य डाक्टरों के साथ मोर्चा संभाल लिया और रिम्स में आए दिन होने वाली घटनाओं को लेकर सभी उच्च पदस्थों से वार्ता करने लगे। डा जयदीप ने बताया कि मारपीट की घटना से पूर्व मरीज के साथ बाहर से आए करीब 5 से 6 लोगों ने ड्यूटी पर तैनात डाक्टर के साथ न सिर्फ अभद्र व्यवहार किया बल्कि मारपीट भी की। घटना की सूचना मिलने के बाद हास्टल से भी कई अन्य डाक्टर्स मौके पर पहुंच गए। जिसके बाद सभी डाक्टर हड़ताल पर बैठ गए। करीब दो घंटे तक डाक्टरी सेवाएं बाधित रहने के बाद डीएमएस डा शैलेश त्रिपाठी, एमएस डा हीरेंद्र बिरुआ, डा निसित एक्का समेत अन्य सीनियर पदाधिकारी मौके पर पहुंचे और जूनियर डाक्टरों को शांत कराने का प्रयास किया। जिसके बाद लंबी वार्ता के बाद जूनियर डाक्टर इमरजेंसी समेत अन्य वार्डों में ड्यूटी पर लौटे।
सुरक्षा व्यवस्था की निकली पोल
मारपीट की इस घटना के बाद रिम्स में सुरक्षा व्यवस्था की एकबार फिर पोल खुल गई है। जहां सुरक्षा कर्मियों को तैनात रहना चाहिए वहां न होकर अन्य जगहों पर उनकी तैनाती की जाती है। वहीं इमरजेंसी जैसे वार्ड में डाक्टरों के साथ अक्सर मरीज व उनके स्वजनों के साथ नोंकझोंक की घटना होते रहती हैं वैसी जगहों पर एकाध सुरक्षा कर्मियों काे ही तैनात किया गया था। लिहाजा, जूनियर डाक्टरों ने इस मामले को लेकर भी उच्च पदस्थों से अपनी शिकायत दर्ज कराई। हड़ताल कर रहे डाक्टरों ने कहा कि इमरजेंसी जैसे वार्ड में सुरक्षा की समुचित व्यवस्था का न होना रिम्स प्रबंधन की लचर कार्यप्रणाली को दर्शाता है।
संसाधनों का दिखा अभाव
रिम्स में संसाधनों का नितांत अभाव देखा गया। रिम्स जैसे अस्पतालों के इमरजेंसी वार्ड में अधिकांश आक्सीजन पाेर्ट, वेंटिलेटर मशीन, मानिटर खराब पड़े थे। मरीजों का इलाज डाक्टरी जांच के आधार पर ही की जा रही थी जबकि सिर्फ दिखावे के लिए ही मशीनें दिवारों पर टंगी थी। कहीं कहीं तो वेंटिलेटर मशीन को बांधकर रखा गया था। वहीं मरीजों को दवाएं भी उपलब्ध नहीं थी। यहां तक कि आइवी सेट, खून रोकने की दवा और मिर्गी जैसी घातक बीमारी के इलाज के लिए बाहर से ही दवा मंगानी पड़ रही है। जूनियर डाक्टर्स ने बताया कि सुरक्षा व्यवस्था, दवा सप्लाई, संसाधनों और अटेंडेंट को बाहर रखने समेत अन्य मांगों को लेकर रिम्स के निदेशक के साथ सोमवार को बैठक की जाएगी। जिसके बाद ही आगामी दिनों की रुपरेखा तैयार की जाएगी।