चाईबासा : कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी बुधवार को झारखंड के चाईबासा स्थित विशेष एमपी-एमएलए अदालत में पेश हुए। यह पेशी उनके खिलाफ दर्ज एक आपराधिक मानहानि मामले में हुई, जो वर्ष 2018 में दिए गए एक भाषण से जुड़ा है। अदालत में उपस्थिति के बाद उन्हें सशर्त जमानत दे दी गई।
यह मामला उस समय चर्चा में आया था जब राहुल गांधी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शीर्ष नेताओं पर तीखा हमला बोला था। आरोप है कि उन्होंने अपने भाषण में भाजपा नेताओं को कथित रूप से “हत्यारा” और “झूठा” कहा था। इस टिप्पणी को लेकर भाजपा नेता प्रताप कुमार ने चाईबासा सीजेएम कोर्ट में उनके विरुद्ध आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था।
कई बार किया गया तलब, अब हुई पेशी
मानहानि के इस मामले में प्रक्रिया लंबे समय तक चली। प्रारंभिक सुनवाई के बाद मामला रांची की विशेष अदालत और फिर उच्च न्यायालय के निर्देश पर चाईबासा स्थानांतरित किया गया। लेकिन, बार-बार समन और वारंट जारी होने के बावजूद राहुल गांधी अदालत में उपस्थित नहीं हुए। कोर्ट ने पहले जमानती और फिर गैर-जमानती वारंट भी जारी किया।
अंततः, झारखंड हाईकोर्ट द्वारा दी गई राहत समाप्त होने के बाद, चाईबासा कोर्ट ने 22 मई 2025 को एक बार फिर गैर-जमानती वारंट जारी किया। इसके जवाब में बुधवार को राहुल गांधी कोर्ट में उपस्थित हुए, जहां उनकी ओर से अधिवक्ता प्रदीप चंद्रा और दीपांकर रॉय ने पैरवी की। कोर्ट ने ट्रायल में सहयोग की शर्त पर उन्हें जमानत दे दी।
विशेष सुरक्षा व्यवस्था के बीच पहुंचे राहुल
राहुल गांधी बुधवार को हेलीकॉप्टर से रांची से चाईबासा पहुंचे। उनके लिए टाटा कॉलेज मैदान में विशेष हेलीपैड बनाया गया था। उनके आगमन को देखते हुए शहर में चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। सुबह 10:57 बजे वे अदालत पहुंचे, जबकि उनके पहले से मौजूद समर्थक और कांग्रेस नेता—स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी, ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय, विधायक अनुप सिंह, पूर्व मंत्री बंधु तिर्की, और झारखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राजेश ठाकुर को कोर्ट परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और संवेदनशील मामला
यह मामला न केवल कानूनी रूप से बल्कि राजनीतिक रूप से भी संवेदनशील माना जा रहा है। जिस भाषण को लेकर यह विवाद उपजा, वह 28 मार्च 2018 को दिल्ली में कांग्रेस के प्लेनरी सेशन के दौरान दिया गया था, जिसमें राहुल गांधी ने तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं। इस मामले को भाजपा ने प्रतिष्ठा से जोड़ा और कानूनी मोर्चे पर कार्रवाई की।
भाजपा का बयान और कांग्रेस की प्रतिक्रिया
मामले में सुनवाई के दौरान भाजपा नेता प्रताप कुमार भी अपने समर्थकों के साथ अदालत में मौजूद रहे। वहीं कांग्रेस की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करते हैं और वह न्यायालय में अपनी बात रखेंगे।
आगे क्या?
अब इस मामले में सुनवाई की अगली तिथि तय होगी, जिसमें यह देखा जाएगा कि ट्रायल की प्रक्रिया किस दिशा में आगे बढ़ती है। राहुल गांधी को अब अदालत की सभी कार्यवाहियों में शामिल होने की जिम्मेदारी दी गई है, जैसा कि जमानत की शर्तों में शामिल है।
यह मामला ऐसे समय पर सामने आया है जब केंद्र और विपक्ष के बीच राजनीतिक तनाव अपने चरम पर है, और लोकसभा में विपक्ष के नेता की भूमिका निभा रहे राहुल गांधी लगातार सरकार पर हमलावर बने हुए हैं। देखना दिलचस्प होगा कि यह कानूनी प्रकरण राजनीतिक समीकरणों को किस तरह प्रभावित करता है।
