उत्तर प्रदेश : मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के खान आलमपुरा निवासी मोहम्मद अमान को अंडर 19 टीम का कप्तान बनाया गया है. आस्ट्रेलिया के साथ शुरू होने वाली सीरीज के लिए अमान को कप्तान बनाया गया है. माता पिता की मौत के बाद के बाद भी परिवार की जिम्मेदारी उठाई अपने लक्ष्य पर नज़र रखते हुए गलियों के क्रिकेट से अमान की थी शुरुआत अंडर 19 की टीम में चयन होने पर क्षेत्र के साथ साथ गांव में खुशी के कहर दौड़ पड़ी।
भारत के नए क्रिकेट कप्तान (U-19) मोहम्मद अमान की तकलीफदेह जिंदगी की कहानी….
मोहम्मद अमान ने 14 साल की उम्र में अपने मां बाप को खो दिया। अपनी छोटी बहन की खुद परवरिश की, एक ऐसा भी दौर में था जब कभी खाने के लिए उसके पास पैसे नही थे , मगर वो अब भारतीय क्रिकेट टीम (अंडर -19 ) का ऑस्ट्रेलिया में नेतृत्व करने जा रहा है। सहारनपुर के मौहल्ले खान आलमपुरा के निवासी मोहम्मद अमान की जबरदस्त कहानी है।
हरफनमौला खिलाड़ी मोहम्मद अमान की प्रतिभा तो सराहनीय है ही मगर जिन परिस्थितियों में वो यहां तक पहुंचे है वो देश भर के युवाओं के लिए एक बहुत बड़ी मिसाल है।
18 साल के मोहम्मद अमान सहारनपुर के मोहल्ले खान आलमपुरा के रहने वाले हैं। उनके पिता मेहताब आलम आम टैक्सी ड्राइवर थे। 2019 में एक एक्सीडेंट में उनका देहांत हो गया। इसके एक साल बाद कोरोना में अमान की अम्मी का भी इंतेक़ाल हो गया। दो बहनों के इकलौते भाई अमान ने 13 साल की उम्र में क्रिकेट खेलकर कमाए हुए पैसों से अपने परिवार के खाने का राशन खरीदा है। खुद की स्कूल की फीस देने में असमर्थ अमान ने कभी अपनी छोटी बहन की स्कूल फीस लेट नही होने दी है। सिर्फ 18 साल के अमान ने परिवार और क्रिकेट के बैट दोनों का वज़न बखूबी उठाया है।
मोहम्मद अमान एक बहुत प्रतिभाशाली क्रिकेटर है, मगर जिस तरह की पृष्ठभूमि उसके लिए बन गई थी तो गली क्रिकेट से आगे नही बढ़ सकता था। यहां तक पहुंचना चमत्कार है। उन्हें लगता है उसके यहां तक पहुंचने में उसकी मां का सबसे बड़ा योगदान है। जब सभी आर्थिक हालात को देखते हुए अमान को खेलने से रोकते थे तो मां उसे बढ़ावा देती थी। अमान की मां 2020 में कोरोना में दुनिया छोड़कर जा चुकी है।
अमान की जिंदगी की कहानी पलटने की कहानी अमान के साथी क्रिकेटर मृदुल गर्ग सुनाते हैं वो कहते हैं कि अमान भूतेश्वर खेल मैदान में हम क्रिकेटरों के साथ खेलता था। 2019 में उसके पिता का इंतेक़ाल हो गया तो वो कुछ दिन खेलने नही आया। वो हमारा साथी था तो उसके घर हम सब गए थे। उसने बताया अब वो नही क्रिकेट नही सकता है। उसकी अम्मी इद्दत में थी। उसके पिता एक सामान्य #ड्राइवर थे। चूंकि वो बहुत अच्छा बैटर और लेग स्पिन गेंदबाज है तो उसे मैदान पर मिस किया गया। कोच सर ##राजीवगोयल चाहते थे कि वो खेलने आए तो कुछ दिन बाद अपनी अम्मी के कहने से अमान खेलने आने लगा। इसके बाद 2020 में कोरोना से अमान की अम्मी का इंतेक़ाल हो गया, मगर तब तक अमान का यूपी 14 टीम में चयन हो चुका था और एक आशा बंध चुकी थी कि इसमें वो आगे बढ़ सकता है।
मोहम्मद अमान की अम्मी की मौत के बाद अमान ने फिर खेलने बंद कर दिया और वो पारिवारिक जिम्मेदारियों में उलझ गया मगर परिवार चलाने के लिए पैसे की जरूरत थी और दूसरा कोई काम उसे आता नही था तब अमान लोकल मैचों में मैच फीस लेकर खेलने लगा और इस पैसे से ही उसके घर का राशन आता था। वो बहुत मन लगाकर खेलता था और खेल के मैदान पर हमेशा संजीदा रहता था,खिलाड़ी तो वो अच्छा है ही। ऐसे समय पर अमान सहारनपुर क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष अकरम सैफी की नजर में आ गया। वहां से यह बात बीसीसीआई उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला तक पहुंची।
मोहम्मद अमान की खेल प्रतिभा और जुझारू प्रवर्ति को देखते हुए राजीव शुक्ला ने अकरम सैफी को मोहम्मद अमान की हर संभव सहायता करने के लिए कहा,इसके बाद अकरम सैफी ने अमान की स्कूल फीस से लेकर खेल के तमाम सकारात्मक अवसरों को लेकर सहायता की। संघर्षों को आग में तपकर कुंदन बन चुके ऐसे नौजवान को बीसीसीआई ने ऑस्ट्रेलिया में भारत की U-19 वनडे टीम की कप्तानी सौंप दी है।