लोकतंत्र सवेरा न्यूज़ /प्रतापगढ़। बारिश के बाद यहां-वहां जमा बरसाती पानी से मक्खी-मच्छरों के पनपने से कई बीमारियां तेजी से फैलने लगती है। ऐसे में इस मौसम में डेंगू, मलरिया और भी कई मच्छरजनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। जो काफी खतरनाक है और इसका इलाज सही समय पर होना बहुत जरूरी है। ऐसे में इससे बचाव व उपचार को लेकर एहतियात बरतना बेहद जरुरी है। डेंगू मच्छर का पीक सीजन सितंबर, अक्टूबर और नवंबर माना जाता है.। डेंगू फैलाने वाले मच्छर एडीज एजीपीटी मच्छर की उम्र एक महीना तक की होती है। यह मच्छर तीन फीट से ज्यादा ऊंचा नहीं उड़ सकता है। इस कारण वह जब भी किसी को काटता तो केवल लोअर लिंब्स पर ही डंक मारता है. मादा मच्छर, कूलर, गमला और फ्लावर पॉट, छत पर पड़े पुराने बर्तनों और टायर में भरे पानी में भी जम सकता है। यह साफ पानी में भी अपने अंडे देती है। अंडों से लार्वा बनने में 2-7 दिन तक समय लगता है। तेज़ बुखार, आंखों के पीछे तीव्र दर्द होना, मतली या उलटी, मांसपेशियों ,हड्डियों और जोड़ों में दर्द, पेट दर्द बार-बार उल्टी होना, रक्त उल्टी होना या मल में रक्त आना, नाक से खून आना या मसूड़ों से खून आना। अत्यधिक थकान, बेचौनी या चिड़चिड़ापन। डेंगू से बचाव का मुख्य तरीका मच्छरों के काटने से बचना है। बाहर जाते समय खुली त्वचा को ढककर रखें। ठहऱे पानी को हटा दें , बाल्टी या परिंडो का पानी बदलें, पुराने टायर जिनमें वर्षा का पानी जमा हो सकता है, सभी पात्रों को खाली कर दे। मच्छरदानी का प्रयोग करें।
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