रघुबर चौबे प्रदेश अध्यक्ष राष्ट्रीय परशुराम परिषद झारखंड बनारस के लिए रवना।
वाराणसी : राष्ट्रीय परशुराम परिषद राष्ट्रवादी संगठन जिसमें ब्राह्मण एवं सनातन हिंदुओं के लिए भगवान परशुराम के द्वारा किए गए कार्यों तथा उनके जीवन संस्करण के लिए राष्ट्रीय शोध पीठ का गठन करने के उपरांत जिसमें अट्ठारह कुलपति, पूर्व कुलपति एवं इतिहासकार, जगतगुरु शंकराचार्य, महामंडलेश्वर, महंत तथा विद्वान जैसे संत पुरुषों के द्वारा लगातार शोध किया गया। शोध के उपरांत हरिद्वार में दो दिवसीय अखिल भारतीय शोध संगोष्ठी का आयोजन अवधूत मंडल आश्रम में किया गया था।
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राष्ट्रीय परशुराम परिषद के संस्थापक एवं निवर्तमान अध्यक्ष/राज्यमंत्री श्रम कल्याण परिषद उत्तर प्रदेश पंडित सुनील भराला के द्वारा बताया गया कि हरिद्वार में दो दिवसीय शोध में विद्वानों ने मैराथन 36 घंटे अपना व्याख्यान किया था, जिसका भगवान परशुराम के जीवन के अन्य संस्करण कथाएं विद्वानों के द्वारा अवधूत मंडल सभागार में व्यक्त की थी।
उसमे पूर्ण उल्लेख हुआ था भगवान परशुराम की जन्मभूमि, साधना भूमि, तपोभूमि, लोक कल्याण के द्वारा राक्षसों से कहां युद्ध हुआ तथा भगवान विष्णु के छठवें अवतार के रूप में जब भगवान परशुराम पृथ्वी पर आए थे, उन्होंने लोक कल्याण के लिए समुद्र को कहां पिया एवं फरशे पर किन-किन राज्यों को जनता के रहने के लिए स्थान बनाया, ऐसे सभी बिंदुओं पर उल्लेखित हुआ था।
उसी को लेकर राष्ट्रीय परशुराम परिषद के द्वारा एक दिवसीय वाराणसी काशी में भगवान शंकर की नगरी काशी विश्वनाथ की धरती पर उद्घोष कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है।
श्री भराला ने बताया कि राष्ट्रीय शोध पीठ के संयोजक एवं राष्ट्रीय परशुराम परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉक्टर वेदव्रत तिवारी की सहयोगी सभी साधु-संतों के बीच में इसका उद्घोष होगा। उद्घोष के उपरांत भगवान श्री परशुराम जी के जन्म स्थान को भगवान परशुराम का धाम बनाने का कार्य प्रारंभ होगा तथा उनकी जो तपोभूमि और युद्धभूमि है उनको पर्यटन स्थल बनाया जाएगा। इसमे झारखंड प्रदेश से रघुबर चौबे प्रदेश अध्यक्ष राष्ट्रीय परशुराम परिषद झारखंड, सीताराम ओझा प्रदेश उपाध्यक्ष, आनंद तिवारी प्रदेश सचिव और झारखंड के जिलाध्यक्ष लोग शामिल होंगें।
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