रक्षाबंधन का पावन पर्व इस बार पूर्ण शुभता और विशेष संयोगों के साथ 9 अगस्त शनिवार को मनाया जाएगा। इस बार बहनों को भाइयों की कलाई पर स्नेह की डोर बांधने का पूरा दिन मिलेगा, क्योंकि इस वर्ष भद्रा का कोई प्रभाव नहीं रहेगा। पंचांग के अनुसार यह अवसर अत्यंत शुभ और दुर्लभ योगों से युक्त रहेगा। कई वर्षों बाद ऐसा संयोग बन रहा है जब रक्षाबंधन पर भद्रा नहीं रहेगी।
इस बार रक्षाबंधन पर श्रवण नक्षत्र,सौभाग्य योग और सर्वार्थसिद्धि योग जैसे महाशुभ संयोग बन रहे हैं। रक्षा बंधन के दिन श्रवण नक्षत्र और शनिवार का योग बहुत कम बनता है। इस दिन चंद्र मकर राशि में रहेगा और मकर राशि के स्वामी शनि है। शनिवार का दिन जिसका स्वामी भी शनि है और श्रवण नक्षत्र जो शनि की राशि की कक्षा में आते है। यह अपने आप में दुर्लभ माना जाता है।यह योग सभी राशियों के जातकों के लिए फलदायी रहेंगे।
राखी बांधने के लिए कब रहेगा शुभ समय
रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 13 मिनट से शुरू हो जाएगी। वहीं पूर्णिमा तिथि का समापन 9 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार रक्षाबंधन का त्योहार 9 अगस्त को ही मनाया जाएगा। 8 अगस्त के दिन ही भद्रा का साया खत्म हो जाएगा, इसलिए रक्षाबंधन का दिन भद्रा से मुक्त रहेगा।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
ऐसे में राखी बांधने के लिए सूर्योदय से लेकर दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक का समय सबसे शुभ रहेगा। इसके साथ ही अभिजीत मुहूर्त (दोपहर 11:48 से 12:40 तक) में भी राखी बांधना बेहद शुभ माना जाएगा। वहीं जो लोग दोपहर तक राखी न बांध पाएं वो शाम तक राखी बांध सकते हैं, क्योंकि उदया तिथि में ढाई घंटे से अधिक तक पूर्णिमा तिथि रहेगी। ऐसे में शाम के वक्त भी राखी बांधना गलत नहीं होगा।
कलावा बांधने का नियम
रक्षाबंधन के दिन भाई के दाहिने हाथ पर राखी बांधना शुभ माना जाता है। दाहिना हाथ या सीधा हाथ जीवन के कर्मों का हाथ कहा गया है और मनुष्य के दाहिने हिस्से में देवताओं का वास भी माना गया है। कहा जाता है कि दाहिने हाथ से किए गए दान और धार्मिक कार्यों को भगवान जल्दी स्वीकार कर लेते हैं, इसलिए धार्मिक कार्यों के बाद कलावा आदि भी दाहिने हाथ पर बांधा जाता हैं।
किस हाथ में बांधना चाहिए रक्षासूत्र?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पुरुषों और अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में रक्षासूत्र बांधना चाहिए वहीं विवाहित स्त्रियों के लिए बाएं हाथ में राखी बांधने का विधान है। भाइयों को राखी बंधवाते समय उस हाथ की मुट्ठी को बंद रखकर दूसरा हाथ सिर पर रखना चाहिए। वास्तु शास्त्र में काले रंग को नीरसता और नकारात्मक ऊर्जा से जोड़कर देखा जाता है, इसलिए इस दिन बहन और भाई दोनों को काले रंग के परिधान पहनने से परहेज करना चाहिए।
रक्षा बंधन के पीछे की कहानी-
रक्षा बंधन, जिसे राखी या राखी के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया भर के हिंदुओं द्वारा भाई-बहनों के बीच प्रेम और ज़िम्मेदारी के बंधन का सम्मान करने के लिए मनाया जाने वाला एक खुशी का त्योहार है। हालाँकि, इस त्योहार का महत्व जैविक संबंधों से कहीं आगे जाता है, क्योंकि यह सभी लिंगों, धर्मों और जातीय पृष्ठभूमि के लोगों को विभिन्न प्रकार के आध्यात्मिक प्रेम का जश्न मनाने के लिए एक साथ लाता है।
संस्कृत में ‘ रक्षा बंधन ‘ का अर्थ है ‘सुरक्षा की गाँठ’। हालाँकि इस त्योहार से जुड़ी रस्में अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन सभी में एक धागा बाँधना शामिल है। बहन या बहन जैसी कोई आकृति अपने भाई की कलाई पर एक रंगीन और कभी-कभी विस्तृत धागा बाँधती है, जो उसकी सुरक्षा के लिए उसकी प्रार्थना और शुभकामनाओं का प्रतीक है। बदले में, भाई अपनी बहन को एक सार्थक उपहार देता है।
भागवत पुराण और विष्णु पुराण की एक अन्य कथा में बताया गया है कि कैसे भगवान विष्णु द्वारा राजा बलि को हराकर तीनों लोकों पर विजय प्राप्त करने के बाद, राजा बलि, विष्णु से अपने महल में रहने का अनुरोध करते हैं। विष्णु की पत्नी, देवी लक्ष्मी, इस व्यवस्था से सहमत नहीं होतीं और राजा बलि को राखी बाँधकर उन्हें अपना भाई बना लेती हैं। इस भाव से प्रभावित होकर, राजा बलि उनकी इच्छा पूरी करते हैं और लक्ष्मी, विष्णु से घर लौटने का अनुरोध करती हैं।
एक अन्य कथा में, गणेश की बहन, देवी मनसा, रक्षाबंधन पर उनसे मिलने आती हैं और उनकी कलाई पर राखी बाँधती हैं। इससे गणेश के पुत्रों, शुभ और लाभ, को प्रेरणा मिलती है, जो रक्षाबंधन उत्सव में भाग लेना चाहते हैं, लेकिन बहन के बिना खुद को अकेला महसूस करते हैं। वे गणेश को एक बहन देने के लिए राजी करते हैं, जिससे संतोषी माँ की उत्पत्ति होती है। तब से, तीनों भाई-बहन हर साल एक साथ रक्षाबंधन मनाते हैं।
अपनी गहरी दोस्ती के लिए मशहूर कृष्ण और द्रौपदी, रक्षाबंधन के दौरान एक खास पल बिताते हैं। जब युद्ध में कृष्ण की उंगली में चोट लगती है, तो द्रौपदी अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनके घाव पर पट्टी बाँधती हैं। कृष्ण के प्रेम से अभिभूत होकर, कृष्ण उनकी कृपा का बदला चुकाने का वादा करते हैं। बाद में, कृष्ण एक मुश्किल घड़ी में द्रौपदी की मदद करके अपना वादा पूरा करते हैं।
इसके अलावा, महाकाव्य महाभारत में, द्रौपदी, कृष्ण के युद्ध में जाने से पहले उन्हें राखी बाँधती हैं। इसी प्रकार, पांडवों की माता, कुंती, अपने पोते अभिमन्यु को युद्ध में जाने से पहले राखी बाँधती हैं।
ये कहानियाँ रक्षाबंधन से जुड़े समृद्ध सांस्कृतिक महत्व और विविध आख्यानों को उजागर करती हैं, तथा जैविक रिश्तों से परे मौजूद प्रेम और सुरक्षा के गहरे बंधनों को दर्शाती हैं।
