कुणाल षाड़ंगी, अजिताभा बोस, डॉ रागिनी भूषण और डॉ त्रिपुरा झा ने किया विमोचन, कोविड काल में शहीद हुए पत्रकार पंकज की पत्नी मनीषा खास तौर पर हुईं शामिल—
पुस्तक अमेजन पर उपलब्ध
आम तौर पर पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में पुस्तक पर विस्तार से चर्चा नहीं होती है. औपचारिकताओं के बीच पुस्तक कहीं खो सी जाती है. लेकिन वरिष्ठ पत्रकार अन्नी अमृता की दूसरी पुस्तक ‘’ मैं इंदिरा बनना चाहती हूं’’ का आज जेके रेजीडेंसी में अनोखे अंदाज में विमोचन हुआ जहां पुस्तक पर न सिर्फ चर्चा हुई बल्कि मेट्रो सिटी की तर्ज पर बुक रीडिंग हुई…शेरो शायरी के दौर के साथ पुस्तक के भीतर की कहानियों पर सवाल जवाब हुए…..’’ कुछ सवाल और कुछ उनका जवाब’’ ये कार्यक्रम का शीर्षक रहा जिसमें अतिथियों पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी,लेखक सह फिल्म मेकर सह प्रकाशक अजिताभा बोस, ग्रेजुएट कॉलेज के संस्कृत विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ रागिनी भूषण और जमशेदपुर वुमेन यूनिवर्सिटी के बीएड विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. त्रिपुरा झा ने पत्रकार सह लेखिका अन्नी अमृता से न सिर्फ सवाल किए बल्कि उनकी पुस्तक पर चर्चा की. अतिथिगण पहले से पूरी पुस्तक पढ़कर आए थे..इस वजह से वहां विस्तार से पुस्तक पर परिचर्चा हुई और उपस्थित लोगों ने खूब आनंद उठाया।
पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने पुस्तक के एक चैप्टर ‘’नेता बनना कोई मजाक है क्या” पर सवाल किया जो व्यंग्यात्मक तरीके से अन्नी द्वारा लिखा गया है. कुणाल ने पूछा कि क्या वाकई लोगों को ऐसा लगता है क्या कि नेता सुख दुख में शामिल होकर जो हाव भाव प्रकट करता है वह एक्टिंग होता है और इमोशन नहीं?इस पर अन्नी अमृता ने कहा कि नेता एक प्रकार का परफॉर्मर होता है लेकिन वह भी एक इंसान होता है और भावनाओं से परे नहीं हो सकता…बल्कि नेता और आम इंसान सभी इसी दुनिया के हैं और सब अपना अपना रोल निभा रहे हैं जो एक प्रकार का परफॉर्मेंस देना ही तो है.कुणाल ने पुस्तक में कोविड काल के दौरान की कुछ कहानियों का जिक्र किया जिसमें जीवन मौत के बीच झूलती जिंदगियों को बचाने की कवायद के साथ साथ मौत के बाद परिजनों की अनुपस्थिति में दाह संस्कार की व्यवस्था जैसे कार्य में जुटे स्वंय कुणाल षाड़ंगी एक पात्र के तौर पर नज़र आते हैं.कुणाल ने चर्चा करते समय बताया कि उस दौरान ऑपरेशन से गुजरने के बावजूद अन्नी अमृता ने ट्वीटर के माध्यम से लोगों की मदद का अभियान जारी रखा और उनके माध्यम से कई मामले संज्ञान में आए।
वहीं मशहूर अंग्रेजी लेखक सह फिल्म मेकर सह प्रकाशक अजिताभा बोस ने उपस्थित लोगों को बताया कि कैसे अन्नी दीदी की इस दूसरे पुस्तक के प्रकाशन की योजना बनी.. कैसे इसके शीर्षक में कुछ बदलाव किए गए. अन्नी अमृता ने उपस्थित लोगों को बताया कि अजिताभा बोस अपने पब्लिकेशन हाउस अजिताभा पब्लिकेशन हाउस के माध्यम से नए लेखकों को प्लेटफॉर्म देने का काम कर रहे हैं जो प्रशंसनीय हैं।
कार्यक्रम में रंग कुछ और सजा जब सवाल करने डॉ रागिनी भूषण और डॉ त्रिपुरा झा पहुंची…’’न लगा सकेगा ये ज़माना इश्क पर इल्ज़ाम, हम छुप छुपकर जो वफा करते हैं’’.डॉ त्रिपुरा झा ने पुस्तक की एक कहानी—‘अनकहा ब्रेकअप’ में लिखी इस शायरी को पढ़कर सुनाया तो हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा.फिर पढ़ा—‘’खुदा तेरी मुहब्बत भी कमाल है, एक दिल मेरा बनाया बार बार टूटने के लिए’’ जब डॉ त्रिपुरा ने ये पढ़ा तब तालियों की गड़गड़ाहट और तेज़ हो गई.तब लोगों को पता चला कि किताब में बहुत कुछ है….डॉ रागिनी भूषण ने लोगों को बताया कि छात्र जीवन से ही अन्नी अमृता मुखर और ओजस्वी रही हैं. पुस्तक के भीतर के हिस्सों पर ज्यादा खुलासा न करते हुए डॉ रागिनी भूषण ने व्यंग्यात्मक तरीके से लिखे ‘अफवाह’ की चर्चा करते हुए जब उसके हिस्से को पढ़ना शुरू किया तो लोग हंसते हंसते लोटपोट हो गए।
अन्नी अमृता ने बताया कि उनकी दूसरी पुस्तक 18 कहानियों का संग्रह हैं जिनमें कोरोना काल की कहानियां, काल्पनिक कहानियां,यथार्थ से प्रेरित कहानियां/अनुभव, व्यंग्यात्मक आलेख और कुछ डिजीटल पोर्टल में छपे आलेख शामिल हैं. ये किताब एक भाव और अनुभव है जो बहुत कुछ समेटे हैं.ये किताब खासकर कोविड काल में शहीद हो गए दिवंगत पत्रकार साथियों और उनके परिजनों को समर्पित हैं.पुस्तक का प्रकाशन दिल्ली के अजिताभा बोस पब्लिकेशन ने किया है.पुस्तक अमेजन पर उपलब्ध है।
कार्यक्रम में खास तौर पर कोरोना काल में शहीद हो गए पत्रकार पंकज की पत्नी मनीषा को आमंत्रित किया गया था, जिन्हें शॉल और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया.पुस्तक में एक बहुत मार्मिक कहानी पंकज की मौत पर लिखी है जिसे पढ़कर लोग भावुक हो गए.मानवाधिकार कार्यकर्ता जवाहरलाल शर्मा भी विशेष आमंत्रित अतिथि के तौर पर शामिल हुए.कार्यक्रम में अन्नी अमृता के माता पिता और अन्य परिजन भी शामिल हुए।
कार्यक्रम का संचालन अनिता शर्मा ने किया….कार्यक्रम की रूपरेखा अजिताभा बोस और अंतरा बोस की थी. अनिता शर्मा ने नए तरीके के इस विमोचन कार्यक्रम के संचालन को सुखद अनुभव बताया. उन्होंने कहा कि मेट्रो सिटीज़ में आजकल पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम ऐसे ही होते हैं.अब ये प्रचलन जमशेदपुर में भी आ रहा है जिसका स्वागत होना चाहिए.अंतरा बोस ने कहा कि आज के समय में जब नई पीढ़ी किताबें कम पढ़ रही है , उन्हें आकृष्ट करने के लिए बोझिल कार्यक्रमों की बजाए ऐसे कार्यक्रम करने होंगे जिससे लोग और खासकर नई पीढ़ी कनेक्ट करे।
कार्यक्रम के आयोजन को सफल बनाने में अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू, पीयूष, निधि, राजीव, बबलू, प्रियंका, पूजा, अंशुमन, इंद्राणि, आशीष, अनीस,पुष्पम प्रिया, अंजनी, सुषमा, ममता, पुष्पा, कृष्णा, डॉ अशोक समेत मीडियाकर्मियों का महती योगदान रहा।
उक्त पुस्तक ऑनलाइन साईट अमाज़ॉन पर भी उपलब्ध है –
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