जमशेदपुर। झारखंड में जमीन घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय की जांच में अब मेधा घोटाला सामने आ रही है। जमीन, खनिज, शराब के बाद अब मेधा घोटाले की बात सामने आने पर सूबे की मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने झारखंड की झामुमो-कांग्रेस और राजद गठबंधन सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। भाजपा झारखंड प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने गुरुवार को झारखंड के रांची स्थित भाजपा प्रदेश मुख्यालय पर आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि जिस 8.46 एकड़ जमीन के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने हिरासत में लिया है। उसमें जिस दिन पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने आवास से ईडी अधिकारियों के आने के पहले 40 घंटे तक रहस्यमय तरीके से गायब रहे थे, उसी दिन उन्होंने राजस्व विभाग से 8.46 एकड़ की विवादास्पद जमीन की जमाबंदी रद्द कर दी। प्रेस वार्ता के दौरान प्रदेश मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक एवं सह मीडिया प्रभारी अशोक बड़ाइक मौजूद रहे। प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि अब मेधा घोटाले के सामने आने के बाद लाखों युवाओं में निराशा एवं रोष का माहौल है। कुणाल षाड़ंगी ने झारखंड सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जमीन घोटाले की जांच में जुटी ईडी ने कोर्ट में जमा की गई 539 पन्नों की व्हाट्सएप चैट में राज्य में पिछले दिनों आयोजित जेएसएससी सीजीएल की परीक्षा में हुए प्रश्न पत्र लीक के मामले में सीधे तौर पर मुख्यमंत्री कार्यालय की संलिप्तता पाई है। इस 539 पन्नो की रिपोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री का विभिन्न दलालों के साथ सीट बेचने की चैट और एडमिट कार्ड शेयर करने से स्पष्ट है कि जेएसएससी सीजीएल के परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक सरकारी संरक्षण एवं मुख्यमंत्री कार्यालय के संज्ञान में कराई गई है। चैट में छात्रों के एडमिट कार्ड के आधार पर ही छात्रों का चयन करने की बात है। इससे पूर्व भी जेएसएससी में मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े अधिकारियों के बच्चों के चयन को लेकर जानकारी सामने आई थी। इसी तर्ज पर जेएसएससी सीजीएल में भी अनियमितता करने की कोशिश की गई है। कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि प्रश्न पत्र लीक होने के मामले बाहर आने के बाद आनन-फ़ानन में परीक्षा कराने वाले एजेंसी को बलि का बकरा बनाकर और मुख्यमंत्री कार्यालय की संलिप्तता पर पर्दा डालकर अपनी जिम्मेदारी से भागने की कोशिश की जा रही है। प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने बिंदुवार प्रश्न उठाते हुए कहा कि यह मामले सामने आने के बाद कुछ सवाल सभी के मन में प्रश्नवाचक चिन्ह के साथ खड़े हैं, जिनमें:
1. पुलिस सेवा के किसी भी पदाधिकारी को जेएसएससी के चैयरमैन बनाने की बाध्यता क्यों है?
2. प्रश्नपत्र लीक होने पर आंदोलन कर रहे एवं वर्षों से तैयारी करने वाले छात्रों पर मुकदमा क्यों किया गया। वहीं, जेएसएससी के चैयरमैन पर मुकदमा दर्ज क्यों नही हुआ?
3. अपने ही कार्मिक विभाग द्वारा एजेंसी के ब्लैकलिस्ट होने की खबर के बाद भी उस एजेंसी को जेएसएससी द्वारा परीक्षा कराने की अनुमति क्यों दी गई?
4. पूछे गए प्रश्नों का का स्तर चतुर्थ विभाग के द्वारा पूछे गए प्रश्न से भी निम्न क्यों ? निम्न शायद इसलिए भी क्योंकि जब प्रश्न पत्र लीक हो जाये तो जल्द से जल्द इसका उत्तर निकाल कर बिचौलिए एवं दलाल अपने अपने छात्रों को दे सकें?
5. 80 अंक पाने वाले सामान्य वर्ग के छात्र का लैब टेक्नीशियन में चयन एवं गृहनगर में पोस्टिंग और 130 अंक लाने वालें छात्र का चयन नही ऐसा क्यों?
6. 9वीं , 10वीं एवं 11वीं जेपीएससी को छोड़ कर सीधे 12वीं जेपीएससी का चुनाव के समय 17 मार्च को परीक्षा क्यों? जब ईडी ने घोटाले के तार होने के संकेत दिए है। परीक्षा के नोटिफिकेशन एवं परीक्षा के बीच का अंतराल 120 दिनों की अपेक्षा में सिर्फ 35 दिन आखिर ऐसा क्यों?
7. आनन फ़ानन में सिर्फ DSP रैंक के अपने ही पुलिस अधिकारी द्वारा प्रश्न पत्र लीक के मामले की जाँच क्यों?
उपरोक्त सभी प्रश्नों के साथ साथ प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा एकसाथ कराकर अपने छात्रों का चयन कराना सीधे-सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप को इंगित करता है। कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि इस मामले की जाँच सीबीआई द्वारा की जाए जिससे प्रदेश के लाखों युवाओं ने हेमंत सोरेन को युवा समझ कर राज्य की बागडोर सौंपी उन्होंने ही युवाओं के साथ धोखा कर उनके साथ हितों पर लगातार प्रहार किया। कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि भाजपा ने जनजाति समाज की बेटी द्रौपदी मुर्मू को देश का राष्ट्रपति बनाया लेकिन झामुमो की गठबंधन के साथी कांग्रेस ने उनका भी विरोध किया। भाजपा ने आदिवासी बहुल राज्य झारखंड और छत्तीसगढ़ अलग राज्य का निर्माण कर दशकों पुरानी मांग पूरी की। जनजातीय कल्याण मंत्रालय का गठन किया। भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को भाजपा ने जनजातीय गौरव दिवस का दर्जा दिया। कुणाल ने कहा कि कानून के हिसाब से यदि कोई कृत्य अपराध की श्रेणी में आता है तो उसे करने वाले को हम जाति, धर्म या पंथ के आधार पर न तो प्रश्रय दे सकते हैं और न ही उसका बचाव कर सकते हैं। उसके बारे में कोई भी फैसला कानून के हिसाब से ही होना चाहिए। एक लोकतंत्र के नाते भी हमें यह तय करना होगा कि क्या अब हम अपराध और अपराधियों के बारे में भी अपनी धारणा उनकी जाति, धर्म या पंथ को लेकर बनाएंगे या फिर उनके द्वारा किये गए अपराध की गंभीरता के आधार पर। वहीं, कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि इन मामलों में संलिप्त सभी दोषियों को सख्त से सख्त सख्त सजा मिलनी चाहिए जिससे कि निकट भविष्य में कोई भी युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ नही कर सके।