जमशेदपुर : आजसू पार्टी के केंद्रीय उपाध्यक्ष प्रवीण प्रभाकर ने कहा है कि हेमंत सरकार प्रत्येक मोर्चे पर नाकाम साबित हो रही है। उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य आजसू के संघर्ष का परिणाम है। झामुमो–कांग्रेस ने सौदेबाजी करते रहे, आजसू ने आंदोलन किया। अगर झामुमो–कांग्रेस की नीयत में खोट नहीं होता तो 1993 में सौदेबाजी की बजाय अलग राज्य का निर्माण करते। श्री प्रभाकर ने परिसदन में प्रेस वार्ता को संबोधित किया। इस मौके पर केंद्रीय मीडिया संयोजक परवाज खान, जिला के वरीय उपाध्यक्ष संजय सिंह, प्रवक्ता अप्पू तिवारी, देवाशीष चट्टोराज, अभय सिंह आदि उपस्थित थे।
श्री प्रभाकर ने कहा कि झारखंड में जहां कानून व्यवस्था की स्थिति बदतर हो चुकी है वहीं विकास कार्य भी ठप हैं। विगत 4 महीनों से विकास कार्यों पर कोई पैसा खर्च नहीं हो रहा है। राज्य सरकार मइया योजना का पैसा जुगाड़ करने में व्यस्त है। श्री प्रभाकर ने कहा कि हेमंत सरकार जानबूझकर नगर निकायों के चुनावों में देर कर रही है और ओबीसी को आरक्षण नहीं देने की साजिश रच रही थी, जिसे आजसू ने विफल कर दिया। उन्होंने कहा कि ओबीसी आरक्षण हेतु आवश्यक ट्रिपल टेस्ट करवाने में भी गड़बड़ी की जा रही है। उन्होंने कहा कि ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार तुरंत पहल करे।
श्री प्रभाकर ने कहा कि राज्य सरकार की रुचि न तो शैक्षणिक माहौल सुधारने में हैं और न ही स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति सुधारने में। राज्य में मरीज खाट पर ढोए जा रहे हैं और सरकार अटल क्लिनिक का नाम बदलकर मदर टेरेसा के नाम पर करने में व्यस्त है। इससे दोनों हस्तियों अपमान हुआ है। श्री प्रभाकर ने कहा कि झारखंड आंदोलन के इतिहास में केंद्र सरकार ने पहली वार्ता आजसू के साथ की थी, जो 1989 में हुई थी। 1998 में जब लालू यादव ने कहा था कि झारखंड मेरी लाश पर बनेगा तो झामुमो ने जैक से इस्तीफा नहीं दिया और चुप्पी साध ली। तब आजसू ने 21 सितंबर 1998 को झारखंड बंद का आह्वान किया था जिसे जबरदस्त जनसमर्थन मिला था।
श्री प्रभाकर ने कहा कि 1999 में तत्कालीन बाजपेयी सरकार ने आजसू से वार्ता की थी। केंद्रीय गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने आजसू से वार्ता कर अलग राज्य निर्माण करने और वनांचल की बजाय झारखंड नामकरण करने के आजसू के प्रस्ताव पर सहमति जताई थी। प्रेस वार्ता मे संजय सिह, अप्पू तिवारी, परवेज खान, देवाशीष चटोराज, अभय कुमार समेत अन्य मौजद रहे।
