जमशेदपुर : डेंगू, निपाह के बाद अब जमशेदपुर में लंपी वायरस का खतरा बढ़ गया है। इस वायरस को लेकर जमशेदपुर व उसके आसपास के क्षेत्रों में पशुपालन विभाग की ओर इसके रोकथाम को लेकर अभियान चलाया जा रहा है। राष्ट्रीय पशु स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत पोटका प्रखंड के हल्दीपोखर पूर्वी पंचायत में मुखिया देवी कुमारी की देखरेख में टीकाकरण अभियान चलाया गया। इस दौरान पशुओं को चिन्हित कर उन्हें टीका दी जा रही है। वहीं, लंपी वायरस के संदेह में पोटका से छह गायों का नमूना लेकर जांच के लिए रांची भेजा गया है। वहां से रिपोर्ट आते ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
सही समय पर इलाज जरूरी
पोटका प्रखंड के पशुपालन पदाधिकारी डा. अशोक कुमार ने बताया कि पशु स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत पशुओं का टीकाकरण किया जा रहा है। इसके साथ ही जो संदिग्ध पशु मिल रहे हैं उसका नमूना लेकर जांच को भेजा जा रहा है। उन्होंने बताया कि बीमारी की पहचान सही समय पर होना अति-आवश्यक है। ताकि कोई पशु इससे संक्रमित मिले तो उसका इलाज सही ढंग से हो सके और वायरस के रोकथाम को सख्त कदम उठाया जा सकें।
जमशेदपुर को मिलेगा 18 लाख टीका
जमशेदपुर व उसके आस-पास के क्षेत्रों में वायरस बढ़े नहीं। इसके रोकथाम को लेकर पशुओं को टीका दी जा रही है। पहले चरण में लगभग 10 हजार टीका आया है। जिसे पशुओं को दिया जा रहा है। वहीं, जमशेदपुर को
विभाग की तरफ से लगभग 18 लाख टीका मिलेगा। पोटका प्रखंड में अभी तक कुल 114 पशुओं को टीका दिया गया है।
गाय, बैल व बकरियों को अधिक खतरा
डा. अशोक कुमार ने बताया कि लंपी वायरस का खतरा गायों के साथ-साथ बैल व बकरियों को ज्यादा है। इसे देखते हुए पशु विभाग अलर्ट है। पशुओं को चिन्हित कर उन्हें टीका देने का कार्य किया जा रहा हैं। वहीं, जिनके घरों में गाय, बैल व बकरियां हैं उन्हें अधिक सावधान होने की जरूरत है। अगर किसी तरह के लक्षण सामने आएं तो इसकी जानकारी तत्काल विभाग को दें। ताकि उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जा सके।
लंपी वायरस का लक्षण
– संक्रमित होने के दो-तीन दिनों के अंदर मवेशी को हल्का बुखार आता है।
– इसके बाद शरीर पर गांठदार दाने निकल आते हैं।
– कुछ गांठ घाव में बदल जाते हैं।
– मवेशी की नाक बहती है।
– पैरों में सूजन होता है।
– मुंह से लार आता है।
– दूध कम हो जाता है।
– गर्भावस्था में मिसकैरेज हो सकता है।
– मवेशी की त्वचा को स्थायी नुकसान भी होने लगता है।
लंपी वायरस का असर कितने दिनों तक रहता है
लंपी वायरस का असर पशुओं में दो से तीन सप्ताह तक रहता है। इसके बाद जानवर ठीक हो जाते हैं। हालांकि, इस दौरान पशुओं का इलाज जरूरी है। बीमारी के दौरान पशुओं का दूध काफी कम हो जाता है। इस बीमारी में मृत्यु दर 15 प्रतिशत है और संक्रमण दर 10 से 20 प्रतिशत रहती है।
लंपी वायरस क्या है?
आइए, अब आपको बताते हैं कि लंपी वायरस क्या है? दरअसल, लंपी बीमारी मच्छर या खून चूसने वाले कीड़ों से मवेशियों में फैलती है। खून चूसने वाले कीड़े ब्लड-फीडिंग पैरासाइटों को संचालित करती है। संक्रमित होने प, गायों में त्वचा पर और उसके अंदर बढ़े हुए लिम्फ नोड्स और नोड्यूल देखे जाते हैं। इस बीमारी को लेकर काफी सतर्क रहने की जरूरत है। अगर पशुओं में कोई भी लक्षण दिखे तो उसे नजरअंदाज नहीं करें। चूंकि, वायरस ज्यादा दिनों तक रहने से पशुओं की मौत भी हो सकती है। ऐसे में सभी को सावधान व जागरूक होने की जरूरत है। इस मौसम में पशुओं पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है।