जमशेदपुर : ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन(AIDSO) झारखंड राज्य कमिटी झारखंड सरकार द्वारा टीजीटी/पीजीटी शिक्षकों के पदों को सरेंडर करने के निर्णय का विरोध करता है। विगत 8 अप्रैल 2025 को राज्य सरकार ने कैबिनेट की बैठक में निर्णय लिया कि झारखंड के टीजीटी और पीजीटी शिक्षक के तकरीबन 9000 पदों को सरेंडर कर दिया गया है अर्थात उन्हें समाप्त कर दी गई है। इस निर्णय से झारखंड के शिक्षक नियुक्ति की तैयारी कर रहे हैं लाखों छात्रों पर प्रभाव पड़ेगा।
AIDSO छात्र संगठन के प्रदेश सचिव सोहन महतो ने कहा कि शिक्षक केवल एक पेशा नही बल्कि एक चरित्र निर्माणकर्ता और कर्तव्यपूर्ण जिम्मेदारी है। शिक्षक आने वाले भविष्य के छात्रों युवाओं को बनाता है। ऐसे में सभी की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त रहे। इस निर्णय से सरकारी शिक्षा व्यवस्था कमजोर और निजी शिक्षण व्यवस्था को भी एक तरफ से मजबूती मिलेगी। नई शिक्षा नीति के नाम पर शिक्षकों के पदों को सरेंडर करना उनके वेतनमान में कटौती एक पहलू है। जहां सांसद विधायक अपने वेतन में बढ़ोतरी कर रही है वहीं शिक्षकों की वेतन में कटौती ये दुर्भाग्यपूर्ण है। एक ओर जहां शिक्षा व्यवस्था के मामले में झारखंड पूरे भारत स्तर पर नीचे से तीसरे या चौथे स्थान पर हैं। प्राथमिक विद्यालय से लेकर उच्चतर स्तर पर शिक्षकों की भारी कमी है। ऐसे अनेकों विद्यालय हैं जहां पर एक दो शिक्षकों के भरोसे सैकड़ो छात्र हैं। सैकड़ो विद्यालयों को अपग्रेड किया गया परंतु उनमें शिक्षकों की नियुक्ति का कोई पहल नहीं किया गया है।
बिना शिक्षक के समृद्ध और विकसित झारखंड का सपना दिखाने का काम जो झारखंड सरकार कर रही है। वह बिल्कुल ही विपरीत है। राज्य सरकार ने न केवल पदों को सरेंडर किया गया बल्कि इन पदों को माध्यमिक सहायक आचार्य नाम देकर उनके वेतनमान में भी भारी कटौती कर दी गई। यह कहीं ना कहीं झारखंड के शिक्षा व्यवस्था में कटौती है। झारखंड सरकार के इस निर्णय से राज्य के लाखों छात्रों में काफी आक्रोश है जहां एक ओर झारखंड में किसी भी प्रकार की बहाली नियुक्ति की प्रक्रिया नहीं हो रही है। इसके विपरीत पदों को खत्म करवाया जा रहा है सरकार की यह नीति छात्रों के भविष्य को अंधकार में बना रही है। यदि सरकार इस विषय को जल्दी समाधान नहीं करती तो पूरे झारखंड भर में छात्र आंदोलन होगा।
