जमशेदपुर : बिष्टुपुर स्थित गोपाल मैदान में शनिवार को विश्व आदिवासी दिवस बड़े उत्साह और गरिमा के साथ मनाया गया। आदिवासी छात्र एकता द्वारा वर्ष 2007 से लगातार आयोजित किए जा रहे इस कार्यक्रम का इस बार का मुख्य विषय संयुक्त राष्ट्र संघ की घोषणा, “स्वदेशी समुदायों के आत्मनिर्णय का अधिकार” रहा।
कार्यक्रम की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ के सरना झंडा के झंडातोलन से हुई। इसके बाद वीर दिशोम गुरु शिबु सोरेन को श्रद्धांजलि अर्पित की गई और उनके जीवन एवं योगदान पर प्रकाश डाला गया। स्वागत भाषण के पश्चात मुख्य वक्ताओं ने आदिवासी समाज की मौजूदा चुनौतियों और अधिकारों पर अपने विचार रखे। सभा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को झारखंड में अचानक लागू किए जाने से लाखों विद्यार्थियों के भविष्य पर संकट, हो, मुंडारी, भूमिज एवं कुख भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग, तथा संविधान की पांचवीं अनुसूची के अनुच्छेद 244(1) के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने पर विशेष चर्चा हुई।
मुख्य वक्ता समाजशास्त्री डॉ. अभय सागर मिंज और जोसाई मार्डी (TAC सदस्य एवं संस्थापक सह मुख्य संरक्षक, आदिवासी छात्र एकता) के साथ इन्द्र हेम्ब्रम, हेमेन्द्र हांसदा, दुर्गाचरण हेम्ब्रम, नवीन मुर्मू, राज बांकिरा, नन्दलाल सरदार, हरिमोहन टुडु और स्वपन सरदार ने भी मंच से अपने विचार साझा किए।
कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि आदिवासी समाज के अधिकार, भाषा और संस्कृति की रक्षा के लिए ठोस और सतत प्रयास आवश्यक हैं, ताकि आने वाली पीढ़ियां अपनी जड़ों से जुड़ी रहें और समाज के साथ न्याय हो सके।
