जादूगोड़ा / संवाददाता : चार महीने से बंद पड़ी यूसिल अस्पताल की दवा आपूर्ति अब एक बार फिर शुरू होने जा रही है, लेकिन यह प्रक्रिया अब सवालों के घेरे में है। अस्पताल में दवा आपूर्ति के लिए जिस के.के. फार्मा को दो वर्ष पूर्व 16 करोड़ रुपये के अनुबंध पर ठेका दिया गया था, उसी कंपनी को एक बार फिर टेंडर दे दिया गया है, जबकि पूर्व में इसी कंपनी द्वारा समय पर दवाएं नहीं उपलब्ध कराए जाने की शिकायतें बार-बार सामने आती रही हैं। जानकारी के अनुसार, यूसिल प्रबंधन ने हाल ही में के.के. फार्मा को 50 लाख रुपये का भुगतान किया है, जिससे 16 जुलाई से मरीजों और कर्मचारियों को दवाएं मिलनी शुरू हो जाएंगी। लेकिन कर्मचारियों और यूनियनों का आरोप है कि जिस कंपनी पर पहले से ही समय पर दवा न देने का आरोप है, उसे दोबारा टेंडर देना कई संदेह पैदा करता है।
यूनियन नेताओं का कहना है कि पूर्व में भी इसी कंपनी की लापरवाही के चलते मरीजों को भारी परेशानी उठानी पड़ी थी और अस्पताल की साख को नुकसान पहुंचा था। फिर भी पुराने अनुभवों की अनदेखी कर उसी कंपनी को जिम्मेदारी सौंपना पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े करता है। सूत्रों का कहना है कि यूसिल अस्पताल में बार-बार दवा संकट उत्पन्न होने से कर्मचारियों और यूनियनों में भारी नाराजगी थी। इसके बावजूद जिस कंपनी के खिलाफ पहले से कई शिकायतें दर्ज हैं, उसे फिर से मौका दिया जाना भीतरखाने किसी मिलीभगत की ओर इशारा करता है। अब देखना यह है कि क्या इस बार कंपनी समय पर दवाएं उपलब्ध करा पाएगी या फिर एक बार फिर मरीजों को समस्याओं से जूझना पड़ेगा। यूनियन ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि इस बार भी अनियमितता सामने आती है, तो वे आंदोलन का रास्ता अख्तियार करेंगे।
इस बारे में जानकारी देते हुए यूसील जादूगोड़ा सीएमओ डॉक्टर एम के रजक ने कहा की दवा देने वाली ठेका कंपनी केके फार्मा को जरूरी दवाएँ अगले 48 घंटों के भीतर उपलब्ध कराई जानी हैं यदि ऐसा नहीं होता है तो मरीजों के शिकायत के आधार पर कार्रवाई की जाएगी साथ ही दवा कंपनी पर जुर्माना भी लगाया जाएगा
