जमशेदपुर : जमशेदपुर पश्चिम के विधायक व स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का इंटरव्यू सुना। उस इंटरव्यू में मीडिया के बंधुओं ने मंत्री जी से पूछा कि आप की सरकार है और राज्य सरकार के अधीन प्रशासन है, तो जब प्रशासन अखाड़ा के ऊपर कार्रवाई कर रही थी आप उस वक्त कहां थे। तो मैं उस इंटरव्यू का निचोड़ निकालकर बहुत ही संक्षिप्त रूप में तीन बिंदुओं में अपनी बात रखना चाहूंगा
● पहली बात यह है कि मंत्री जी से जो मुख्य प्रश्न पूछा गया था, वह यह था कि रामनवमी यात्रा के दिन जो रस्साकशी चल रही थी उसमें आपकी भूमिका क्या थी? और आप उस दिन कहां थे। इस प्रश्न के उत्तर मंत्री जी बड़े ही गोल मटोल तरीके से दिया। तथ्यों के साथ प्रश्न का सीधा उत्तर देने की नैतिकता या साहस उनमें नहीं दीखी। उन्होंने घुमा फिरा कर इस प्रश्न का उत्तर राजनीतिक रूप में दिया।
● दूसरी बात यह है कि हिंदू धर्म तथा राम चरित्र मानस पर अपना ज्ञान प्रदर्शित करने का प्रयास किये। तर्क के खातिर यदि यह मान भी लें कि मंत्री जी ज्ञानी है; तो मेरा यह मानना है और कहना है कि ज्ञानी से बड़ा भक्त होता है। आप सभी सुने होंगे लगभग सभी संप्रदायों में कथावाचक होते हैं जो काफी ज्ञानी होते हैं; परंतु उनमें से कई कथावाचक ऐसे कुकर्म करते हैं, जिससे पूरा देश वाकिफ है। ऐसे लोग ज्ञानी तो होते हैं; परंतु पापी भी होते हैं। परंतु जो भक्त है वह यदा-कदा होते हैं। मीरा भक्ति से ही कृष्ण को पाई थी, चैतन्य महाप्रभु भक्ति के बल पर ही ईश्वर को पाया था। जो ज्ञानी होकर भी तदनुसार कर्म नहीं करते उन्हें हम ज्ञानी पापी कहते हैं।
● तीसरी और आखिरी बात यह है कि, मंत्री जी ने सभी हिंदू और राम भक्तों को चैलेंज किया कि उनसे राम चरित्र मानस तथा अन्य विषयों पर कोई बहस कर ही नहीं सकता। मुझे इस पर यह कहना है कि हम लोगो को बहस करने से ज्यादा भक्त बनने में दिलचस्पी है। हम भक्त ही रहना चाहते हैं। रावण परम ज्ञानी था, परंतु उन्होंने श्रीराम पर षड्यंत्र रचा, माता सीता का अपहरण किया। परंतु हनुमान जी, श्री राम के भक्त थे। उन्होंने सीता माता को छुड़ाया, लंका को जलाया और श्री राम के परम प्रिय बन गए। हम लोग भी श्री राम के भक्त है अन्यथा ऐसा ज्ञान जो कर्म में तब्दील ही ना हो, उन्हें हम रावण कहते हैं। अंदाज में श्रीराम का वर्णन किया जा सकता है। परंतु भक्त बन कर उनके दिखाए रास्ते पर चलकर श्री राम को उपलब्ध किया जा सकता है। मंत्री जी से यही आग्रह है राजनीति करने हेतु कृपया माइक के सामने अपने ज्ञान का प्रदर्शन करना छोड़िए और कर्म करिए और भक्त बनिए।