जमशेदपुर। कांग्रेस के वरीष्ठ नेता सुभाष उपाध्याय ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि समीर महंती लोकसभा चुनाव में करोड़ों का सौदा कर विधुत वरण महतो के सामने आत्मसमर्पण कर चुके थे। लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन की ओर से झामुमो प्रत्याशी समीर महंती को बनाया गया था, जो वर्तमान में बहरागोड़ा से विधायक भी है इस लिहाज से भी बहरागोड़ा निवासी एवं सांसद विधुत वरण महतो से उनके अच्छे संबंध थे। समीर महंती जानते थे कि विधुत वरण महतो मजबूत प्रत्याशी है और निकट भविष्य में विधानसभा चुनाव भी है तो दोनों ने आपस में तालमेल बिठा लिया। समीर महंती एक करोड़ का सौदा कर विधुत वरण महतो के सामने आत्म-समर्पण कर दिए?
इस वादे के साथ कि विधानसभा चुनाव में विधुत वरण महतो को मदद करना होगा। अब इस बात को बल इस प्रकार मिलता है कि जमशेदपुर लोकसभा चुनाव में गोविन्दपुर, गदरा, राहरगोडा, बारीगोडा, सरजमदा, बड़ा गोविन्दपुर, धानचट्टानी, लुआबासा, खैरबनी आदि इलाकों में कम से कम सौ बुथों के क्षेत्र में दर्जनों बैठक एवं हजारों समर्थकों की पदयात्रा हुई मैं उसमें शामिल भी हुआ प्रत्याशी के आने की सुचना भी थी लेकिन ऐसा पहली बार हुआ जब कोई प्रत्याशी सैकड़ों बुथ वाले क्षेत्रों के दौरे पर निकले ही नहीं। वे एक दिन भी नही आए इन क्षेत्रों में आम लोग चाहते हुए भी प्रत्याशी का दर्शन नहीं कर पाए।
इन इलाकों का मोर्चा जुगसलाई विधानसभा के विधायक मंगल कालिंदी संभाले हुए थे और उनके अथक प्रयास से ही समीर महंती को वोट मिले वरना जो रवैया समीर महंती ने अपनाया था उससे लोगों में भारी नाराजगी थी फिर भी मंगल कालिंदी एवं सभी दलों के कार्यकताओं के प्रयास से सम्मानजनक वोट प्राप्त हुए। यह भी सच है कि शहरों में झामुमो का जनाधार नहीं है और कुछ लोग है भी तो चुनाव में उनकी उपस्थिति फोटो खिंचवाने भर की थी। जमशेदपुर पुर्वी विधानसभा क्षेत्र में बुथों पर कांग्रेस के कार्यकर्ता पुरी मुस्तैदी से डटे हुए थे।
लेकिन चुनाव बीत जाने के बाद समीर महंती अपने हार का ठीकरा जिला कांग्रेस के नेताओं पर फोडना चाह रहे हैं, जबकि मैं दावे के साथ कहना चाहता हूँ कि समीर महंती की मजबूत सांठगांठ भाजपा से हो चुकी थी और आने वाले विधानसभा चुनाव में झामुमो बहरागोड़ा से प्रत्याशी भी बदल रही है यही कारण है कि समीर महंती सांसद विधुत वरण महतो के इशारे पर कांग्रेस को पुर्वी विधानसभा में कमजोर कर भाजपा को फायदा पहुंचाना चाहते हैं। इस मामले की पुरी जांच राज्य के मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन एवं झामुमो प्रमुख हेमंत सोरेन के सज्ञान में संगठन हित में होनी चाहिए।