जमशेदपुर। 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ओर से लागू आपातकाल के विरोध में भाजपा जमशेदपुर महानगर ने मंगलवार को काला दिवस मनाया। मानगो स्थित बड़ा हनुमान मंदिर सभागार में महानगर अध्यक्ष सुधांशु ओझा की अध्यक्षता में ‘लोकतंत्र की रक्षा-हमारा संकल्प’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में आपातकाल को भारतीय इतिहास का सबसे काला अध्याय बताते हुए लोकतंत्र की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले लोकतंत्र सेनानियों को स्मरण कर नमन किया गया। इस दौरान झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी, कार्यक्रम के प्रभारी गुरविंदर सिंह सेठी, पूर्व विधायक मेनका सरदार, प्रदेश मंत्री नंदजी समेत अन्य नेतागण विशेष रूप से मौजूद रहे। इस दौरान आपातकाल के दौरान जेल गए लौहनगरी जमशेदपुर के लोकतंत्र सेनानियों ने आपातकाल के अनुभव साझा किए। नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने आपातकाल के समय जेल में यातनाएं झेलने वाले लोकतंत्र के सजग प्रहरी राम प्रवीण पांडेय, हरेंद्र सिंह, अश्विनी कुमार अवस्थी को अंगवस्त्र भेंटकर सम्मानित कर आभार जताया। इससे पहले, भाजपा नेताओं ने कार्यक्रम स्थल से गांधी मैदान तक पदयात्रा कर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित कर नमन किया। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने बांह पर काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराया।
इस अवसर पर संगोष्ठी को संबोधित करते हुए नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने कहा कि 25 जून, 1975 की मध्यरात्रि में लगाया गया आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का सबसे कलंकित अध्याय है। 25 जून 1975 की मध्य रात्रि को भारत के इतिहास में एक ऐसा काला अध्याय लिखा दिया गया था जिसका आभास शायद ही किसी को रहा होगा। उस रात की कालिमा ने भारतीय लोकतंत्र पर 21 महीने तक ग्रहण लगा दिया था। उन्होंने कहा कि 49 वर्ष पूर्व आज ही के दिन भ्रष्टाचार, शिक्षा में गिरावट और अपनी सत्ता को बचाए रखने के लिए देश पर आपातकाल थोप दिया गया था। आपातकाल की घोषणा के साथ ही देश को गैर-लोकतांत्रिक मोड में धकेल दिया। लोगों की स्वतंत्रता पर रोक लगा दी थी। कुछ ही मिनटों में तत्कालीन कांग्रेस की इंदिरा गांधी सरकार ने भारतीय संविधान का लगभग अपहरण ही कर लिया था। इसमें श्रद्धेय अटल बिहारी जी, लाल कृष्ण आडवाणी जी, मोरारजी देसाई और लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी समेत देश के विपक्षी नेताओं, आरएसएस व सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों को जेल में भर दिया गया और नागरिकों के मौलिक अधिकारों सहित सभी संवैधानिक अधिकारों को जबरन हटा दिया। अमर बाउरी ने कहा कि जिस संविधान की शपथ लेकर इंदिरा गांधी सत्ता में आसीन हुई थी, उस सिहांसन को बचाए रखने के लिए उसी संविधान पर ताला लगा दिया। प्रेस को झुकाया गया, उसपर सेंसरशिप लगायी गयी। मीसा और डीआईआर के तहत देश में एक लाख से ज्यादा लोगों को जेलों में ठूंस दिया गया। उस समय इंदिरा गांधी के सबसे बड़े सलाहकार संजय गांधी के गलत निर्णय के कारण देशभर में लोगों को जबरदस्ती पकड़कर नसबंदी कार्यक्रम को चलाया गया, जिसमें हजारों लोगों की जान चली गयी।
नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने कहा कि आज कई राजनीतिक पार्टी यह प्रचारित करने में लगी रहती हैं कि लोकतंत्र एवं संविधान खतरे में है। ऐसा कहने वालों को आपातकाल का वो काला दौर याद करना चाहिए कि सत्ता के लालच में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश को क्रूरतापूर्वक इमरजेंसी की बेड़ियों में कैद कर दिया था। अमर बाउरी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की पंच निष्ठा में एक निष्ठा मजबूत लोकतंत्र भी है। इसी लोकतंत्र की भावना को भारत रत्न डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के आदर्शों के अनुरूप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 10 साल के शासनकाल में सफल नीतियों और योजनाओं से चरितार्थ किया है। हमें ऐसे राजनीतिक दल और वंशवादी पार्टियों से भी सावधान रहना होगा, जो सत्ता सुख के लिए लोकतंत्र और संविधान को एक झटके में खत्म कर देते हैं।
वहीं, कार्यक्रम के प्रभारी गुरविंद्र सिंह सेठी ने कहा कि मुगलों के शासन में धार्मिक आधार पर लोगों को प्रताड़ित किया गया तो अंग्रेजों के शासन में शोषण के जरिए जनता प्रताड़ित होती रही। देश अंग्रेजी शासन से मुक्त हुआ तो यह उम्मीद जगी कि भारत अब प्रताड़ना के दंश से मुक्त हुआ। लेकिन, देश के आजाद होने के लगभग दशक बाद ही तक जनता को ऐसी प्रताड़ना झेलनी पड़ी, जो प्रताड़ना की पराकाष्ठा थी। कहा कि आपातकाल दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला अध्याय था।
संगोष्ठी के दौरान स्वागत संबोधन जमशेदपुर महानगर अध्यक्ष सुधांशु ओझा, मंच संचालन जिला उपाध्यक्ष संजीव सिन्हा एवं धन्यवाद ज्ञापन विजय तिवारी ने किया।
इस अवसर पर पूर्व जिलाध्यक्ष ब्रह्मदेव नारायण शर्मा, देवेंद्र सिंह, अभय सिंह, चंद्रशेखर मिश्रा, बिनोद सिंह, राजकुमार श्रीवास्तव, दिनेश कुमार, गुंजन यादव, जिप परिषद उपाध्यक्ष पंकज सिन्हा, सांसद प्रतिनिधि संजीव कुमार, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य मनोज कुमार सिंह, मिथिलेश सिंह यादव, कुलवंत सिंह बंटी, कल्याणी शरण, राजन सिंह, डॉ राजीव, योगेश मल्होत्रा, अनिल सिंह, दशरथ चौबे, बबुआ सिंह, संजीव सिन्हा, संजीव सिंह, राकेश सिंह, अनिल मोदी, जितेंद्र राय, पप्पू सिंह, मंजीत सिंह, विजय तिवारी, ज्ञान प्रकाश, बिनोद सिंह, नारायण पोद्दार, कौस्तव रॉय, राजपति देवी, अमिताभ सेनापति, बिमल बैठा, मोर्चा अध्यक्ष अमित अग्रवाल, बीनानंद सिरका, मुचिराम बाउरी समेत मंडल अध्यक्ष बिनोद राय, सुरेश शर्मा, ध्रुव मिश्रा, संतोष ठाकुर, दीपक झा, बबलू गोप, अजय सिंह, हेमंत सिंह, संजय तिवारी, प्रशांत पोद्दार, राजेश सिंह, अमरेंद्र पासवान, संदीप शर्मा बौबी, संजय कुमार सिंह, चंचल चक्रवर्ती, रविन्द्र नाथ सरदार, हलधर दास, सुदीप कुमार डे, हेमेंद्र जैन, त्रिदेव चटराज, दीपक पॉल, पवन सिंह, सुनील सिंह मुंडा, शांतनु मुखर्जी, मंटू चरण दत्ता, प्रधान महतो, अभिमन्यु सिंह, चंदन चौबे, संतोष कुमार, शैलेश गुप्ता, संजीत चौरसिया समेत अन्य कार्यकर्ता उपस्थित थे।
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