जमशेदपुर : झारखंड सरकार ने हाल ही में आदिवासी बहुल क्षेत्रों में शराब दुकानें और बार खोलने की नीति को मंजूरी दी थी, जिसका निर्णय ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल (टीएसी) की बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में लिया गया। इस नीति को लेकर आदिवासी समाज में व्यापक आक्रोश देखा जा रहा है। जमशेदपुर में झारखंड सरकार की नई शराब नीति के खिलाफ सोमवार को भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की ओर से विरोध प्रदर्शन किया गया। मोर्चा के जिला अध्यक्ष रमेश बास्के के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं एवं आदिवासी समाज के लोगों ने एलबीएसएम कॉलेज से करणडीह चौक तक आक्रोश मार्च निकालकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला दहन किया। इस दौरान ‘शराब नीति वापस लो’, ‘ग्राम सभा को जलील करना बंद करो’ जैसे नारे लगाकर विरोध प्रकट किया गया। विरोध प्रदर्शन में आदिवासी समाज का आक्रोश स्पष्ट रूप से देखने को मिला।
इस अवसर पर मोर्चा जिलाध्यक्ष रमेश बास्के ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि झारखंड सरकार की शराब नीति आदिवासी समाज के लिए अभिशाप है। यह नीति समाज के युवाओं को अंग्रेजी शराब पिलाकर उन्हें नशे की गर्त में धकेलने और आदिवासी समाज के गौरवशाली संस्कृति और सभ्यता को नष्ट करने की साजिश है। ग्राम सभाओं की अवमानना कर सरकार आदिवासियों की स्वायत्तता पर प्रहार कर रही है। कहा कि हेमंत सोरेन सरकार आदिवासियों के हितों की सिर्फ बात करती है, इस प्रकार की नीति आदिवासी समाज को बर्बाद करने वाली है। आदिवासी बहुल क्षेत्र में शराब दुकानों को बढ़ावा देकर सरकार हमारी सामाजिक और सांस्कृतिक नींव को कमजोर कर रही है। यदि सरकार ने तत्काल इस नीति को वापस नहीं लिया, तो आदिवासी समाज सड़कों पर उतरेगा और संस्कृति और भविष्य की रक्षा के लिए इस नीति के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ेंगे। इस तरह से आदिवासी समाज का विकास कभी नहीं हो सकता है। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि इस नीति को तुरंत रद्द किया जाए।
भाजपा नेता राम सिंह मुंडा ने शराब नीति की आलोचना करते हुए कहा कि शराब हमारे आदिवासी समाज की संस्कृति का हिस्सा नहीं है। सरकार का यह कदम हमारे समाज को कमजोर करने की साजिश है। यह नीति आदिवासी संस्कृति और परंपराओं के खिलाफ़ है। इससे युवाओं में नशे की लत बढ़ेगी जिससे सामाजिक और आर्थिक समस्याएं बढ़ेंगी।
इस दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता ईश्वर सोरेन, प्रदेश मंत्री कुसुम पूर्ति, राम सिंह मुंडा, संजय मुंडा, लव सरदार, गुलशन टुडू, विनोद माझी, गुरु टुडू, बिनानंद सिरका, बालवीर हंसदा, सन्नी मार्डी, मदन मुर्मू, सुनील दिग्गी, दुर्गा सवैया, हुडिंग दिग्गी, राजवीर सुंडी सहित आदिवासी समाज के कई लोग शामिल रहे।