जमशेदपुर : झारखंड की सियासत में चाणक्य के नाम से मशहूर सरयू राय के बारे में कहा जा रहा है कि वे इस बार खुद सियासी भंवर में फंस गए हैं. इसकी 3 वजहें भी बताई जा रही है।
- सरयू राय जमशेदपुर पूर्वी सीट से विधायक हैं. यह सीट बीजेपी की परंपरागत सीट रही है. राय जब 2019 में इस सीट जीतकर सदन पहुंचे तो उन्होंने वादा किया कि अब कभी इस सीट को नहीं छोड़ूंगा. हाल के दिनों में भी उन्होंने कई मौकों जमशेदपुर पूर्वी न छोड़ने की बात कही है. राय का तर्क है कि मैंने 2019 के चुनाव में पूर्वी क्षेत्र के मतदाताओं से रघुवर मुक्त का वादा किया था. मैं जब तक रहूंगा, तब तक इसी क्षेत्र के लिए काम करूंगा।
- राय के जमशेदपुर से लड़ने पर बीजेपी ने वीटो लगा दिया है. रांची में प्रेस वार्ता के दौरान बीजेपी के सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि हम सिर्फ जमशेदपुर पश्चिमी अपने सहयोगी जनता दल के लिए छोड़ सकते हैं. पूर्वी नहीं छोड़ेंगे. राय जनता दल यूनाइटेड के नेता हैं और कहा जा रहा है कि बीजेपी राय को जमशेदपुर पश्चिमी से लड़ाना चाहती है. जमशेदपुर पश्चिमी से अभी कांग्रेस के बन्ना गुप्ता विधायक हैं, जो हेमंत सरकार में मंत्री भी हैं. गुप्ता और राय की सियासी अदावतें भी जगजाहिर है।
- राय के जमशेदपुर पश्चिमी से लड़ने पर उनकी पार्टी से ही वीटो लगता दिख रहा है. जेडीयू के झारखंड अध्यक्ष खीरू महतो का कहना है कि हम किसी भी स्थिति में बीजेपी की बात नहीं मानेंगे. बीजेपी सिर्फ जेडीयू को 2 सीटें देना चाहती है, लेकिन हम 11 मांग रहे हैं. खीरू महतो ने 11 सीटों की सूची जेडीयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार को सौंप दी है. फाइनल फैसला नीतीश कुमार को करना है. कहा जा रहा है कि अगर जमशेदपुर पश्चिमी से लड़ने के लिए सरयू राय तैयार भी हो जाते हैं तो क्षेत्र में उनकी राह आसान नहीं होने वाली है।
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