जमशेदपुर : रोशनी का महाउत्सव दिपावली का त्योहार खत्म होने के साथ ही अब छठ महापर्व की तैयारी शुरु हो गई है। छठ पूजा, दिवाली के तुरंत बाद आने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। उत्तर भारत समेत देश के अन्य हिस्सों और विदेश में रहने वाले भारतीय रीति-रिवाजों के इस महापर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं, हालांकि यह मुख्य रूप से बिहार-झारखंड में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

छठ के समय घरों से लेकर नदी और तालाबों के घाटों तक हर जगह लोगों में जोश और उत्साह का रंग देखने को मिलता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से यह चार दिन का पर्व शुरू होता है और सप्तमी तिथि को समाप्त होता है। ऐसे में देखें तो कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की समाप्ति के उपरांत शुक्ल पक्ष आज से सायंकाल से शुरू हो रहा है। इसके साथ ही घर-घर में लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा 2025 की तैयारी शुरू हो गई है। आइए जानते हैं कार्तिक छठ 2025 के पूजा की तिथियां, नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और प्रात: अर्घ्य की सही तिथि और शुभ मुहूर्त समेत सबकुछ।
जानिए किस दिन है नहाय-खाय…?
छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यह तिथि 25 अक्टूबर (शनिवार) को पड़ेगी। इस दिन स्नान करने के बाद घर के कुल देवता और सूर्य देव की पूजा की जाती है। फिर चावल, दाल और कद्दू की सब्जी का सेवन किया जाता है। यही दिन छठ पर्व का पहला दिन माना जाता है।
जानिए कब है खरना……?
छठ का दूसरा दिन खरना पूजा कहलाता है, जो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। 2025 में यह दिन 26 अक्टूबर को होगा। इस दिन स्नान के बाद छठी मैया की पूजा की जाती है और उनके लिए गुड़ की खीर (रसियाव) बनाई जाती है। खरना पूजा के साथ ही छठ व्रत की शुरुआत होती है।
सूर्य देवता को अर्घ्य…..
कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसके अगले दिन सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ व्रत का समापन किया जाता है।
छठ पूजा 2025 का शुभ मुहूर्त…..
षष्ठी तिथि प्रारंभ: 27 अक्टूबर (सोमवार) सुबह 6:04 बजे
सूर्यास्त का समय (डूबते सूर्य को अर्घ्य): 27 अक्टूबर (शाम 5:10 बजे से शाम 5:58 बजे तक)
षष्ठी तिथि समाप्त: 28 अक्टूबर सुबह 7:59 बजे
सूर्योदय का समय (उगते सूर्य को अर्घ्य): 28 अक्टूबर (मंगलवार) को भगवान भाष्कर सूर्य को प्रातःकालीन अर्घ्य अपर्ण करने (प्रात: 5:33 बजे से 6:30 बजे तक) के साथ ही छठ पूजा 2025 का समापन होगा। छठ 2025 के व्रती पारण कर अनुष्ठान समाप्त करेंगी।
छठी मैया की पूजा का विशेष महत्व
छठ पर्व के चारों दिन छठी मैया की पूजा की जाती है। यह चार दिन का पवित्र पर्व श्रद्धा, भक्ति और अनुशासन का प्रतीक है। छठ पूजा न केवल सूर्य उपासना का पर्व है, बल्कि यह प्रकृति, परिवार और जीवन के प्रति आभार प्रकट करने का अवसर भी है। इस व्रत में पानी तक नहीं पिया जाता। ऐसा माना जाता है कि छठी मैया की पूजा करने से संतान की सेहत और लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है। उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है।



